Uttar Pradesh : योगी आदित्यनाथ का आया आदेश , माँ - बाप को परेशान किया तो पड़ेंगे दुविधा में
Lucknow Desk : मां-बाप खून-पसीने की कमाई से एक-एक पाई जोड़कर बच्चों की परवरिश करते हैं। पढ़ाई-लिखाई से लेकर उनकी तमाम जरूरतों और शौक को पूरा करने के लिए अपनी पूरी जवानी खपा देते हैं। बच्चों का मुस्तकबिल आज से बेहतर हो, इसके लिए हर जतन करते हैं। लेकिन अगर बुढ़ापे में बहू-बेटे ही तंग करने लगे तो? बुजुर्ग को उसके ही घर में बेगाना कर दें तो? अफसोस की बात है कि ऐसे कई मामले देखने, सुनने और पढ़ने को मिल जाते हैं। बुजुर्ग दंपती कई बार लोकलाज के डर से कि समाज क्या कहेगा तो कई बार अपने हक से वाकिफ न होने की वजह से चुपचाप अत्याचार सहते रहते हैं। लेकिन ऐसे मामलों में कानून बहुत साफ है। बुजुर्गों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है और उनकी देखभाल करना बच्चों और रिश्तेदारों का न सिर्फ फर्ज है बल्कि कानून के हिसाब से वो इसके लिए बाध्य भी हैं। अगर बुजुर्ग चाहे तो घर और अपनी संपत्ति से बहू-बेटे या संबंधित रिश्तेदार को बेदखल कर सकता है।
आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में अब बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों पर अत्याचार करने पर वारिस उनकी संपत्ति से बेदखल किए जा सकते हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इस बारे में समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के सामने शुक्रवार को प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रदेश सरकार प्रस्तावित संशोधनों पर महाधिवक्ता की सलाह लेकर आगे बढ़ेगी।
बताते चले की उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 को स्वीकार करते हुए वर्ष 2014 में नियमावली लागू की गई। राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि यह नियमावली, केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। अभी नियमावली के तहत बुजुर्गों का ध्यान न रखने पर प्रति माह अधिकतम 10 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने या एक माह की सजा का प्रावधान है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक होगी।
प्रस्तावित संशोधनों में कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से किसी की बेदखली के लिए अधिकरण को आवेदन दे सकते हैं। अगर वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संस्था भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकती है।
- तथ्यों से संतुष्ट होने पर अधिकरण बेदखली का आदेश कर सकता है। संबंधित पक्ष को तीन दिन के भीतर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली के आदेश का पालन करना होगा।
- ऐसा न किए जाने पर पुलिस की मदद से संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया पूरी कर संपत्ति वरिष्ठ नागरिक को सौंप दी जाएगी।
- अधिकरण के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक अपील अधिकरण में 60 दिन के भीतर अपील भी कर सकता है।