
Ram Mandir: राम भक्तों का सालों पुराना इंतेजार खत्म, जानिए प्रतिमा के लिए किस पत्थर का हुआ प्रयोग
Ram Mandir: राम भक्तों का सालों पुराना इंतेजार खत्म होने जा रहा है। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी। वहीं प्राण-प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को अयोध्या पहुंचे। इस दौरान उन्होंने करीब 16 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की सौगात दी। इसके साथ ही नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट और पुनर्विकसित रेलवे स्टेशन समेत अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन किए। वहीं, पीएम मोदी के दौरे को ध्यान में रखते हुए अयोध्या को फूलों, तस्वीरों और स्तंभों से सजाया गया। हर जगह पीएम मोदी की तस्वीर भी लगाई गई। इसके अलावा शहर की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ाई गई।
राम मंदिर के उद्घाटन समारोह की भी तारिख नजदीक आ रही है। जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर है। वहीं मंदिर में लगने वाला दरवाजों से लेकर गर्भगृह में लगनी वाली प्रतिमा पर सबकी नजर है। हर राम भक्त जानना चाहता है कि रामलला की प्रतिमा कैसी होगी? इसका इंतेजार भी अब खत्म होने वाला है।
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह में बाल रूप की प्रतिमा होगी। जिसमें भगवान राम की 5 वर्ष आयु होगी। अयोध्या में ही गोपीनीय ढंग से तीन अलग-अलग स्थानों पर देश के महान मूर्तिकार भगवान रामलला को दिव्य रुप में गढ़ रहे है। कमेटी के पदाधिकारियों ने मूर्ति पर अपना सुझाव पर्ची में लिखकर दिया है। तीनों मूर्तियों को लेकर अपनी पसंद और उसका कारण लिखा है। अब श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा और ट्रस्ट में महासचिव चंपत राय को अंतिम फैसला लेना है। उसके बाद चयन की गई पूर्ति को फाइनल लुक दिया जाएगा।
रामलला के लिए देश के तीन बड़े मूर्तिकार मूर्ति बना रहे है। सूत्रों के अनुसार, अरुण योगीराज शिल्पी की बनाई गई प्रतिमा का चयन किया गया है। अरुण योगीराज ने भगवान राम के श्याम रंग की मूर्ति तैयार की है। जिसकी ऊंचाई 51 इंच है, इसमें भगवान राम के बाल्यावस्था को दर्शाया गया है। इसके साथ ही श्रीराम प्रभु के हाथ में तीर धनुष दिया गया है।
आपको बता दे कि रामलला की मूर्ति के लिए तीन पत्थर अलग-अलग स्थानों से लाये गए है। जिसमें नेपाल के पत्थर, कर्नाटक के पत्थर और ओंकारेश्वर के पत्थर शामिल है। इन पत्थरों की अपनी क्वालिटी भी है। कर्नाटक के पत्थर में श्यामल हैं, भगराम की बात करें तो शास्त्रों के अनुसार, रामचरित मानस और रामायण में जो वर्णन है वह नीलवर्ण एवं श्याम वर्ण का है।
दरअसल, 22 जनवरी को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया है। 22 जनवरी को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त निकला है। जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक है।