Lucknow Desk : कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 10 नवंबर शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। धनतेरस को लेकर मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। इसके अलावा कुबेर भगवान की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष काल 10 नवंबर को शाम 5 बजकर 46 मिनट से रात 8 बजकर 25 मिनट तक है। वहीं वृषभ लग्न का मुहूर्त- शाम 6 बजकर 8 मिनट से रात्रि 8 बजकर 5 मिनट तक है। दीपदान के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक का समय शुभ है। धनतेरस की पूजा इस शुभ मुहूर्त में ही करनी चाए।
धनतेरस पर खरीदें ये चीजें
धनतेरस के दिन कुछ चीजें खरीदने से पूरे साल घर में बरकत बनी रहती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पूरे परिवार पर रहता है। आज के दिन मिट्टी की मूर्ति, झाड़ू, धनिया, पीली कौड़ी और नमक जरूर खरीदना चाहिए।आज ये चीजें खरीदने से कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती है।
धनतेरस पर करें चावल के उपाय
धनतेरस के दिन चावल का ये उपाय विशेष फल दिलाता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेशजी और कुबेर जी की पूजा करें। इसके बाद चावल के साफ और पूर्ण 21 दाने लें। अब इन्हें लाल रंग के कपड़े में लपेटकर रात को अपनी तिजोरी या उस जगह पर रखें जहां आप धन रखते हैं। ऐसा करने से घर से आर्थिक तंगी दूर होती है और संपन्नता आती है।
धनतेरस के दिन खरीदें झाड़ू
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की परंपरा सदियों पुरानी है. माना जाता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी मां की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन नई झाड़ू खरीदकर उसका पूजन करना चाहिए। झाड़ू खरीदते समय इसकी संख्या का विशेष ध्यान रखें। इस दिन झाड़ू हमेशा विषम संख्या में यानि 1, 3, 5 और 7 झाड़ू खरीदना सौभाग्यदायक माना जाता है।
यमराज के नाम पर करें दीपदान
धनतेरस पर यमराज के नाम दीपदान किया जाता है. माना जाता है कि अकाल मृत्यु नहीं होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यम दीप जलाने से मृत्यु के यमलोक की पीड़ा नहीं झेलनी पड़ती है। प्रदोष काल में आटे का दीपक बनाकर उसमें रुई की दो लम्बी बत्तियां रखें. इन्हें ऐसे रखें जिससे दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें।अब इसमें तिल का तेल और काले तिल डालकर प्रज्वलित करें। घर के बार गेंहूं की ढेरी पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक रख दें।