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Maha Parinirvan Divas: बाबा साहेब की आज 69वीं पुण्यतिथि, जानें क्यों मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस ?
Thursday, 05 Dec 2024 17:00 pm
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Maha Parinirvan Divas: 6 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख के रूप में दर्ज है। देश भर में इस दिन महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक और दलितों के मसीहा कहे जाने वाले भीमराव आंबेडकर का 1956 में निधन हुआ था।

दरअसल, भारत में हर साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। महापरिनिर्वाण का अर्थ बौद्ध धर्म में आत्मा की मुक्ति से है। इस दिन को आंबेडकर की महान आत्मा की शांति और उनकी अमूल्य सेवा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

बाबा साहेब का कब हुआ जन्म और क्या है प्रारंभिक जीवन ?

डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वो महार जाति से थे, जिसे उस समय अछूत माना जाता था। उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता का सामना किया, लेकिन उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल ने उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया।

आंबेडकर ने अपनी शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का निर्णय लिया था, उन्होंने मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। कानून और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की पढ़ाई में आंबेडकर ने डिग्री हासिल की है। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक कुशल विद्वान बनाया बल्कि एक समाज सुधारक बनने की प्रेरणा दी।

भारत के संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान

सन् 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद, आंबेडकर को संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए एक आधारशिला बना। इसमें सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार सुनिश्चित किया गया।

बौद्ध धर्म में दीक्षा और निधन

आंबेडकर ने दलित समुदाय के साथ 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। उनका मानना था कि बौद्ध धर्म के सिद्धांत सामाजिक समानता और बंधुत्व को प्रोत्साहित करते हैं। 6 दिसंबर 1956 को, लंबे समय से बीमार चल रहे आंबेडकर का निधन हो गया। इस दिन को उनके अनुयायी महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।