Sonia Gandhi Birthday: आज कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है। सोनिया गांधी आज 09 दिसंबर को 78 साल की हो गई हैं। सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं। दरअसल, सोनिया गांधी के नेतृत्व में दो बार यूपीए को सरकार बनाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया। बता दें, सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली के वेनेटो क्षेत्र के लुसियाना नामक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टेफिनो मायानो था। उन्होंने सोनिया गांधी का नाम एंटोनिया एडविस अल्बिना मायानो रखा। किसी ने नहीं सोचा था कि वो बच्ची आगे चलकर भारतीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनेंगी। लेकिन सोनिया गांधी भारत की सबसे पुरानी पार्टी यानी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं।
पहली बार राजीव गांधी से मिली थी सोनिया सोनिया गांधी
07 जनवरी 1965 को सोनिया गांधी कैंब्रिज पहुंचीं। यहां विदेशी युवा पढ़ाई के लिए आते हैं। उन्हें इसी कैंपस में एक ग्रीक रेस्तरां मिला, जो इतालवी खाना भी खिलाता था उसका नाम था वर्सिटी। यहां पढ़ाई करने वाले युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय था। सोनिया ने नियमित तौर पर यहीं खाना शुरू कर दिया। वहीं राजीव गांधी भी अक्सर अपने दोस्तों के साथ आया करते थे। यहीं सोनिया ने राजीव को देखा था। वो शांत, सुंदर और बेहद विनम्र थे। एक दिन जब सोनिया वहां लंच कर रही थीं तब राजीव उनके कॉमन मित्र क्रिस्टियन वॉन स्टीगलिज के साथ आए। तभी उनका आपस में परिचय हुआ था।
राजनीति में कैसे हुई शुरुआत ?
1968 में सोनिया से शादी करने के बाद राजीव उन्हें भारत ले आए। राजीव राजनीति जीवन से दूरी बनाकर एक एयरलाइन पायलट के रूप में अपना करियर चुना था। जब 1980 में संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। इसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया गांधी ने इस दौरान राजनीति से दूरी बनाए रखी थी। कला संरक्षण के क्षेत्र में काम किया। लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व संभालने का प्रस्ताव मिला, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
इसके बाद 1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 में लोकसभा चुनाव जीता और यूपीए गठबंधन का गठन किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री पद स्वीकार करने के बजाय मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी। जब 2004 में देश की सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी पर सोनिया की ताजपोशी का रास्ता साफ था। लेकिन उन्होंने नहीं अपनाया। इसके बाद 2009 में एक बार फिर उनके लिए ऐसा ही मौका था। उन्होंने दोनों ही मौकों पर इसे ठुकरा दिया। खुद की जगह डॉ मनमोहन सिंह को नामित किया। सोनिया के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया था। दस साल तक डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे, लेकिन सत्ता की डोर गांधी परिवार के हाथों में रहने के संदेश ने उनकी स्थिति दयनीय बनाए रखी।
क्यों प्रधानमंत्री बनने से इनकार की सोनिया गांधी?
अब सवाल उठता है कि सोनिया के राजनीतिक सफ़र के जिक्र के वक्त ये सवाल उठना लाजिमी है कि वो प्रधानमंत्री का पद क्यों ठुकराया करती थी? देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान संभाले हुए भी कभी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठीं। दरअसल, चुनावी राजनीति में सक्रिय किसी भी बड़े नेता के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी सपना होती है लेकिन सोनिया ये जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं हुईं क्यों?
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