Manmohan Singh Funeral: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक स्थल को लेकर कांग्रेस और केंद्र सरकार में नोकझोंक हो गई है। दरअसल, कांग्रेस ने मांग की थी कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट के पास किया जाए और वहीं पर उनका स्मारक स्थल भी बनाया जाए। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निगमबोध घाट को अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित किया। स्मारक स्थल के लिए 3 से 4 दिन में जमीन आवंटित करने का आश्वासन दिया।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात एक बयान जारी किया। जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटित करने की बात कहा और इस संबंध में उनके परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सूचित कर दिया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पहले पूरी की जाएंगी इसके बाद ट्रस्ट गठन के करके स्मारक के लिए स्थान आवंटन किया जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा केंद्र सरकार को पत्र
पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनका एक स्मारक बन सके। जिसके बाद केंद्र सरकार की ओर से निगमबोध घाट पर ही मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार करवाए जाने की जानकारी दी और उनका स्मारक स्थल कहां पर बनेगा, ये अगले 3 से 4 दिन में तय कर लिया जाएगा।
केंद्र सरकार को विपक्ष ने घेरा
डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई। कांग्रेस इसे सिख प्रधानमंत्री का अपमान बताने लगी। तो वहीं विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को घेरते हुए एक्स पर लिखा, देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी की समाधि के संदर्भ में सम्मान की परंपरा का निर्वहन होना चाहिए। न इस विषय पर किसी राजनीति की आवश्यकता है, न होनी चाहिए। डॉ. मनमोहन सिंह जी की समाधि राजघाट पर ही बननी चाहिए। भाजपा अपनी संकीर्ण सोच का अनुचित उदाहरण प्रस्तुत न करे। इतिहास भाजपा को उसके इस नकारात्मक नज़रिये के लिए कभी माफ़ नहीं करेगा।
इसी बीच BSP सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, केन्द्र सरकार देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डा. मनमोहन सिंह के देहान्त होने पर उनका अन्तिम संस्कार वहाँ कराये तथा उनके सम्मान में भी स्मारक आदि वहीं बनवाये जहाँ उनके परिवार की दिली इच्छा है। वहीं उन्होंने दूसरे पोस्ट में लिखा, अर्थात् इसके लिए कोई भी राजनीति करना ठीक नहीं है और इन मामलों में केन्द्र सरकार इनके परिवार की व सिख समाज की भी भावनाओं का ज़रूर सम्मान करे तो यह उचित होगा।