Lucknow Desk: केरल की नर्स Nimisha Priya को यमन में फांसी दी जा रही है। फांसी की सजा से बचाने के लिए सोमवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के सामने हुई। सुनवाई में भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पक्ष रखा गया। इस दौरान उन्होंने कोर्ट में कहा कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए, सरकार कुछ खास नहीं कर सकती है। भारत सरकार एक हद तक जा सकती है। हम उस हद तक पहुंच चुके हैं।
बता दें, Nimisha Priya की फांसी पर अब भारत सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हम जो कर सकते थे हमने किया।
भारत सरकार की तरफ से मुआवजा
भारत सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि मृतक के परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़) रुपये के मुआवजे का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, Nimisha Priya को 2017 में एक यमनी नागरिक की 'हत्या' के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। निमिषा ने यमनी नागरिक की कथित तौर पर प्रताड़ित किया और उसके साथ मारपीट की। अपना पासपोर्ट उसके कब्जे से वापस पाने के लिए, उसने कथित तौर पर उस यमनी व्यक्ति को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन ज़्यादा मात्रा में डोज लेने से उसकी मौत हो गई। फिलहाल, निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जा रही है।