नई दिल्ली: भारतीय आंतरिक अनुसंधान संस्थान (ISRO) के लिए आज का दिन अहम है। आज चंद्रयान-3 मिशन लॉच होगा। इस मिशन को सफल बनाने के लिए जो टीम दिन रात काम कर रही है, उसमें लखनऊ विश्वविघालय की पूर्व एक छात्रा रितु करिधाल है। जिसका चंद्रयान-3 मिशन में अहम भूमिका है। चंद्रयान-3 मिशन पर मिली जिम्मेदारी को देख कर लखनऊ विश्वविघालय के कुलपति, शिक्षक और अधिकारी कॉफी खुश है। रितु को रॉकेट वुमन के नाम से भी जाना जाता है।
लखनऊ विश्वविघालय से की है ग्रेजुएशन
बता दे कि रितु करिधाल लखनऊ राजाजीपुरम की रहने वाली है। रितु करिधाल की स्कूली पढ़ाई नवयुग कन्या महाविघालय से हुई है। उन्होंने लखनऊ विश्वविघालय से फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन वर्ष 1991 में बीएससी भौतिक विज्ञान से किया था। फिर 1996 में एमएससी भौतिक विज्ञान की डिग्री पूरी की। वह शुरू से ही मेधावी छात्रा रहीं। उन्होंने पीएचडी भौतिक विज्ञान में भी प्रवेश लिया। लेकिन छह महीने के बाद ही वर्ष 1997 में उनका चयन ISRO में हो गया, जिसकी वजह से वह पीएचडी नहीं पूरी कर पाईं थीं।
कई मिशन में शामिल हो चुकी है रितु
रितु करिधाल मिशम मंगलवार और मिशन चंद्रयान-2 में भी अहम भूमिका निभा चुके है। शुरु से ही उनकी रुचि स्पेस फिजिक्स में थीं। रितु को मिले पुरस्कारों की सूची भी उनकी उपलब्धियों की तरह ही लंबी है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, मार्स आर्बिट्रेटर मिशन के लिए ISRO टीम पुरस्कार, एएसआई टीम पुरस्कार, सोसाइटी ऑफ इंडियन एरोस्पेस टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रीज द्वारा एरोस्पेस महिला उपलब्धि पुरस्कार हासिल की है।
चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं भेजा जाएगा
बता दे कि चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है। इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं। लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा। इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा। इसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा, जिसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन होगा। यानी मॉड्यूल का असली वजन 448.62 किलोग्राम है।