नई दिल्ली: भारत आज एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है। वहीं अंतरिक्ष में भारत का तिरंगा लहराने वाला है जिसका हर भारतीय नागरिक को बेसब्री से इंतजार है। आपको बता दें कि ISRO का उद्देश्य तीसरे चंद्रयान मिशन के साथ चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में महारथ हासिल करना है। चंद्रयान-3 की लैंडींग का है सबको बेसब्री से इन्तजार।
चंद्रयान मिशन की 2003 में हुई थी औपचारिक घोषणा
चंद्रयान मिशन की कल्पना पूरे भारत सरकार द्वारा की गई थी। वहीं इसको औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2003 को पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इसकी घोषणा की गई थी।
2008 में हुई थी चंद्रयान-1 की लॉन्चिंग
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों की इस मिशन पर कड़ी मेहनत और अंतत: 22 अक्टूबर 2008 को ISRO के विश्वसनीय PSLV-C 11 रॉकेट पर चंद्रयान-1 की लॉन्चिंग हुई थी वहीं इस मिशन में भारत, अमेरिका, यूके, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरण थे। चंद्रयान-1ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से भी अधिक चक्कर लगाए थे। चंद्रयान 1 मिशन के तहत ही चांद पर पानी के भी संकेत मिले थे। भारत को निराशा तब हाथ लगी जब 29 अगस्त 2009 को अंतरिक्ष यान से संपर्क टूटा गया था। आपको बता दें कि इस दुर्लभ उपलब्धि को देखने के लिए पीएम मोदी भी ISRO के मुख्यालय में मौजूद थे।
2019 को चंद्रयान-2 मिशन ने भरी थी उड़ान
बता दें कि 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 मिशन ने उड़ान भरी थी लेकिन यहां भी हमें निराशा ही हाथ लगी जब ये मिशन अचानक समाप्त हो गया और अचानक ही वैज्ञानिकों का विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूट गया। चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने में विफल रहा, अगर ये मिशन सफल हो जाता तो भारत चांद पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाता लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
चांद की ओर रवाना हुआ चंद्रयान-3
बता दें कि चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया है। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से 2 बजकर 35 मिनट पर हो चुकी है। चंद्रयान -3 का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग हासिल करने में भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना भी है।