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कल है Hartalika Teej , जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा
Sunday, 24 Aug 2025 17:00 pm
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Lucknow Desk: हिंदू धर्म में Hartalika Teej का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। Hartalika Teej के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं। यह त्यौहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल Hartalika Teej 26 अगस्त, मंगलवार यानी कल है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य व सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

Hartalika Teej की पूजा का शुभ मुहूर्त

Hartalika Teej की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक है। मतलब आपको पूजा करने के लिए 2 घंटे 35 मिनट मिलेंगे।

कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं Hartalika Teej व्रत

Hartalika Teej व्रत सुहागिन स्त्रियों के अलावा कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। Hartalika Teej पर इस बार रवि योग, साध्य योग व शुभ योग का संयोग दिन महत्व बढ़ा रहे हैं। रवि योग पूरे दिन रहेगा।

क्या है Hartalika Teej व्रत कथा?

पौराणिक कथा अनुसार, माता पार्वती ने अपने पिछले जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। वह बाल्यावस्था हिमालय पर गंगा के तट पर अधोमुखी होकर कठिन तप की। इस तपस्या के दौरान वे सिर्फ सूखे पत्ते चबाती थीं। उन्होंने अन्न का बिल्कुल भी सेवन नहीं किया। इसके बाद कई वर्षों तक उन्होंने सिर्फ हवा ही ग्रहण कर अपना जीवन गुजारा। जब उनके पिता ने अपनी बेटी की ऐसी दशा देखी तो वह बहुत दुखी हुए।

कुछ समय बाद महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वतीजी के लिए विवाह प्रस्ताव लेकर आए। इस विवाह प्रस्ताव को पार्वती जी के पिता ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। जब माता पार्वती को ये बात पता चली तो वह बहुत दु:खी हुईं और जोर-जोर से रोने लगीं। जब माता पार्वती की सखी को उनके दुख का कारण पता चला तो वह उन्हें घने वन में लेकर चली गईं। जहां पार्वती जी एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना करने लगीं। इसीलिए मां पार्वती के इस तपस्वनी रूप को नवरात्रि में शैलपुत्री के नाम से पूजा जाना जाता है।

माता पार्वती जी ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में हस्त नक्षत्र के समय रेत से शिवलिंग बनाया और फिर विधि विधान पूजा की। तब माता पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया। फिर इच्छानुसार अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तभी से मान्यता है कि इस दिन जो भी महिलाएं विधि-विधानपूर्वक ये व्रत करती हैं, वे अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करतीं हैं।