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जानिए कहां पहुंचा चंद्रयान-3, ISRO ने दी जानकारी
Monday, 17 Jul 2023 17:00 pm
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नई दिल्ली:  भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने पूरे दुनिया में देश का मान बढ़ा दिया है। चारों तरफ सिर्फ चंद्रयान-3 की बात हो रही है। इसी क्रम में चंद्रयान-3 को लेकर एक नई खबर आई है। बता दे कि ISRO ने मंगलवार यानी आज 18 जुलाई को लगभग 2 बजे के बीच चंद्रयान-3 का आर्बिटर मैन्यूवर किया है। ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 तसरी कक्षा को सफलतापूर्वक पार कर गया है। अब अगली यानी चौथी मैन्यूवरिंग 20 जुलाई को 2 से 3 बजे करेगा। फिलहाल अभी तक ISRO ने दूरी में किए गए बदलाव को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन ISRO ने एपोजी में बदलाव किया है।

ISRO ने यह भी जानकारी दी है कि चौथे और पांचवें ऑर्बिट मैन्यूवर में भी एपोजी में बदलाव किया जाएगा। बता दे कि 31 जुलाई तक चंद्रयान-3 को एक लाख किलोमीटर दूर तक पहुंचाना है। तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवर से पहले चंद्रयान 226 किलोमीटर की पेरीजी और 41,762 किलोमीटर की एपोजी वाली अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। इस ऑर्बिट मैन्यूवरिंग में 41,762 किलोमीटर की दूरी को बढ़ाया गया है।

फिलहाल ISRO ने अभी तक इस बात की जानकारी नहीं दी है कि इसके इंजन को कितने देर तक ऑन किया जाएगा। चंद्रयान-3 को अब लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी यानी लंबी दूरी वाले ऑर्बिट में धकेला जाएगा। इस ऑर्बिट में चंद्रयान-3 तीन दिन यात्रा करेगा। 

बता दे कि चंद्रयान-3 के 23 या 24 अगस्तल को चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है। चंद्रयान-3 में एक प्रपल्शान मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है। रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन से चलता है, दूसरा चरण तरल ईंधन पर अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन से चलने वाला क्रायोजेनिक इंजन है। चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की जमीन पर सुरक्षित उतारना है। उसके बाद रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा। लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रपल्शउन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है।

दरअसल, ISRO ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे उड़ान भरने के 17 मिनट बाद सैटेलाइट ने ऑर्बिट में एंट्री कर ली थी। नायर ने कहा, 'आज से चंद्रयान में लगे थ्रस्टर्स को ‘फायर’ किया जाएगा और 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए चंद्रयान-3 को पृथ्वी से काफी दूर ले जाया जाएगा। चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करना है।