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ज्ञानवापी परिसर में आज तीसरे दिन भी सर्वे का काम शुरु, विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह होने का दावा
Saturday, 05 Aug 2023 17:00 pm
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वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में शुक्रवार यानी 4 अगस्त से एएसआई सर्वेक्षण हो रहा है। एएसआई सर्वेक्षण का आज तीसरा दिन है। एएसआई की टीम ज्ञानवापी के अंदर सर्वेक्षण का कार्य सुबह 8:00 बजे से शुरु कर दिया है। इस दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी भी ज्ञानवापी पहुंच गए हैं। इस बीच मंदिर पक्ष ने मुख्य गुंबद के नीचे आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह होने का दावा किया जा रहा है। गुंबद के नीचे स्थित कमरे की जीपीआर जांच की मांग की है। इस जांच से स्पष्ट हो जाएगा कि वहां क्या मौजूद है।

गुंबद के नीचे की जांच की गई मांग

जब से मंदिर पक्ष के लोगों ने जांच की मांग की है तभी से ज्ञानवापी परिसर में मुख्य गुंबद के नीचे की जांच की मांग की जा रही है। लोगों का दावा है कि इस स्थान पर आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह था और उसके नीचे शिवलिंग व अरघा समेत अन्य साक्ष्य मौजूद हैं। अलग-अलग अवसरों पर अदालत में कई बार इसका उल्लेख भी किया गया है। बता दे कि पूरे ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग के पीछे यह एक बड़ा कारण रहा है। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी व सुभाषनंदन चतुर्वेदी के अनुसार इतिहासकार जेम्स प्रिंसेप ने अपनी पुस्तक में अष्टकोणीय आदि विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा दर्शाया है।

मुख्य गुंबद के नीचे बड़ा कमरा

मंदिर के पश्चिम की तरफ श्रृंगार मंडप मौजूद है। वह वर्तमान में नजर आने वाली पश्चिमी दीवार को इसका अवशेष बताते हैं। वर्ष 1669 में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, जिसके तीन गुंबदों में से बीच का मुख्य गुंबद गर्भगृह के ऊपर बनाया गया है। मुख्य गुंबद के नीचे बड़ा कमरा है, जिसमें नमाज पढ़ी जाती है। पिछले साल मई में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट में भी इस कमरे के फर्श के ठोस नहीं होने की बात कही गई है। इसमें नीचे जाने का कोई रास्ता नहीं है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पश्चिमी दीवार से लेकर गुंबद तक का हिस्सा बंद है।

मंदिर पक्ष का कहना है कि मुख्य गुंबद के नीचे जांच की जाए तो प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर के चिह्न जरूर मिलेंगे। इस जगह की जांच के लिए ही मंदिर पक्ष ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से जांच करने की मांग करता रहा है। इसमें ही यह पता चलेगा कि जमीन ठोस है या पोली। यदि जमीन पोली है तो उसके नीचे कैसी संरचना है, इसका पता जीपीआर जांच से ही चलेगा।