नई दिल्ली: संसद के राज्यसभा में दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को लेकर खूब चर्चा हुई। आखिरकार ये बिल सोमवार यानी 7 अगस्त को राज्यसभा से पास हो गया। राजधानी दिल्ली में सरकार के ऊपर केंद्र को वरीयता देने वाले इस विधेयक के समर्थन में 132 वोट पड़े, जबकि 102 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया।
इस विधेयक के चर्चा में भाग लेने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व्हीलचेयर पर संसद पहुंचे थे। जिसे लेकर सियासत शुरु हो गई। जहां विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने तारीफ की तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे शर्मनाक बताया।
BJP के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने किया ट्वीट
मनमोहन सिंह के संसद पहुंचने पर बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा कि देश कांग्रेस की ये सनक याद रखेगा। कांग्रेस ने सदन में एक पूर्व प्रधानमंत्री को देर रात स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति में भी व्हील चेयर पर बैठाए रखा, वो भी सिर्फ़ अपना बेईमान गठबंधन ज़िंदा रखने के लिए! बेहद शर्मनाक! इसके साथ ही बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री की सदन में व्हीलचेयर पर बैठे कार्यवाही में हिस्सा लेने की तस्वीर भी शेयर की है।
कांग्रेस का पलटवार
इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि डॉक्टर साहब का लोकतंत्र के प्रति यह समर्पण इस देश के संविधान में उनके विश्वास का प्रमाण है। भाजपा ने अपने बुजुर्गों को भले मानसिक कोमा में धकेल दिया हो, लेकिन हमारे बड़े हमारी प्रेरणा और हमारा हौसला हैं। उन्होंने आगे कहा कि अपने आका से कहो कुछ सीखें - भगोड़े ना बनें।
AAP ने की तारीफ
पूर्व पीएम के व्हीलचेयर पर आने से कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने 90 वर्षीय कांग्रेस नेता की तारीफ की। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि आज राज्यसभा में डॉ. मनमोहन सिंह ईमानदारी की मिसाल बनकर खड़े हुए और विशेष रूप से काले अध्यादेश के खिलाफ वोट करने आए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता एक गहन प्रेरणा है। चड्ढा ने पूर्व पीएम के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। कहा कि मैं हृदय से उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
दिल्ली सेवा बिल पास
गौरतलब है, राज्यसभा में सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा हुई। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। अमित शाह के जवाब के बाद इस बिल पर वोटिंग हुई। विपक्षी नेताओं की ओर से प्रस्तावित किए गए सभी संशोधन ध्वनिमत से नकार दिए गए। बिल पर हुए मतदान में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े। इसी के साथ बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई।