Lucknow Desk : मंगलवार को केरल विधान सभा ने सर्वसम्मति में एक प्रस्ताव पारित किया। आपको बता दें कि केरल विधानसभा ने राज्य का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर ‘केरलम’ करने का केंद्र से आग्रह करने संबंधी प्रस्ताव बुधवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
इसी के साथ केरल यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बना गया है। केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से मांग की कि केंद्र सरकार देश की पूरी आबादी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कोई भी कदम उठाने से बचे। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पेश किया। प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने समर्थन दिया था। प्रस्ताव में सीएम विजयन ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केंद्र सरकार का एकतरफा और जल्दबाजी वाला कदम संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को खत्म कर रहा है। केंद्र सरकार बिना किसी वैचारिक बहस में शामिल हुए या सर्वसम्मति की तलाश किए इस एकतरफा कदम के साथ आगे बढ़ी है।
बता दें, यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पेश किया। उन्होंने केंद्र सरकार से भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का आग्रह किया।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि राज्य को मलयालम में ‘केरलम’ कहा जाता है, लेकिन अन्य भाषाओं में यह अब भी केरल ही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही मलयालम भाषी समुदायों के लिए एकजुट केरल बनाने की आवश्यकता मजबूती से उभरी है। विजयन ने कहा कि संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा हुआ है।