नई दिल्ली: चंद्रयान-3 ने 16 अगस्त यानी बुधवार को चांद की चौखट पर दस्तक दे दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुंच गया है। ISRO की ओर से एक बार फिर चंद्रयान-3 के ऑर्बिट को घटाया गया है। बता दे कि ऑर्बिट घटाने की ये आखिरी प्रक्रिया थी। इसी के साथ चंद्रयान की चांद से दूरी और भी कम हो गई है। भारत का ये स्पेीसक्राफ्ट अब 153 Km x 163 Km की कक्षा में पहुंच गया है। 17 अगस्ति को ISRO चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग होगा। यह मन्यूवर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके बाद स्पेसक्राफ्ट सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयारी करेगा।
चंद्रयान-3 चांद की पहली ऑर्बिट
दरअसल, 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था। इसी दिन चंद्रयान ने चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं। उसके बाद अब तक इसकी चार बार ऑर्बिट बदली जा चुकी है। पहला ऑर्बिट 164 x 18074 KM का था। 6 अगस्त 2023 को ऑर्बिट घटाकर 170 x 4313 km किया गया। यानी चंद्रयान-3 को चंद्रमा की दूसरी कक्षा में डाला गया था।
बता दे कि चंद्रयान-3 चांद की तीसरी बार 9 अगस्त को ऑर्बिट में बदली गई थी। तब यह चांद की सतह से 174 km x 1437 km की ऑर्बिट में घूम रहा था। चांद की ऑर्बिट में इसरो चंद्रयान-3 के इंजनों से रेट्रोफायरिंग करवा रहा है। यानी गति धीमी करने के लिए उलटी दिशा में यान को चला रहा है। इसके बाद 14 अगस्त को चंद्रयान-3 को 150 km x 177 km की ऑर्बिट में डाला गया था।
कल का दिन बेहद अहम- ISRO
वहीं ISRO ने कहा कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा तक पहुंचने की अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब यह प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी करेगा। ISRO ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है।
23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर करेगा लैंड
14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया है जिसके बाद छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया। इसके बाद चंद्रयान-3 चांद के पहुंचता गया। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थापित करने का अभियान आगे बढ़ रहा है। ISRO ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने का प्रयास कर रहा है और चंद्रमा से उसकी दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।