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क्या पृथ्वी पर लौटेगा Chandrayaan-3? चांद पर ही रहेगा Chandrayaan-3?, जानें चंद्रमा पर क्या-क्या करेगा ?
Thursday, 24 Aug 2023 00:00 am
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नई दिल्ली: 24 अगस्त 2023 को चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग हो गई। चंद्रयान-3 के लिए आने वाले 14 दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाले हैं। क्योंकि 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है। जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर घूमेगा। बता दे कि रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर से बाहर आने की प्रक्रिया शुरु हो गई है।

14 दिन बाद क्या होगा Chandrayaan-3 का

ISRO से मिली जानकारी के अनुसार, रोवर और लैंडर चंद्रमा पर घूमते हुए जानकारी देंगा। ISRO के अनुसार, चंद्रयान-3 14 दिनों तक चंद्रमा पर ही रहेगा। क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। लैंडर और रोवर इन दिनों में पूरी सक्रियता के साथ ISRO को सूचनाएं भेजेगा।

दरअसल, 14 दिनों के बाद चांद पर रात हो जाएगी। यह रात कोई एक दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे 14 दिनों तक के लिए होगी। रात होते ही यहां बहुत अधिक ठंड होगी। चूंकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे। हालांकि, ISRO वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के काम करने की संभावना से इनकार नहीं किया है। अगर दोनों 14 दिन बाद सही-सलामत काम करते हैं, तो यह भारत के चंद्र मिशन के लिए बोनस होगा।

क्या चंद्रयान-3 पृथ्वी पर लौटेगा ?

Chandrayaan-3 पृथ्वी पर वापस नहीं लौटेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हो सकता है काम न करें, लेकिन ये चंद्रमा पर ही रहेंगे।

चंद्रयान-3 का कुल वजन?

चंद्रयान के बारे में बात करें तो इसका भार कुल कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है, जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर भी शामिल है।

चंद्रमा पर क्या करेगा Chandrayaan-3 ?

रोवर प्रज्ञान चांद की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। चंद्रमा की मिट्टी का परीक्षण करने के लिए रोवर में अल्फा पार्टिकल X-रे स्पेक्ट्रोमीटर और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोमीटर, दो बेहद जरूरी उपकरण लगे हुए हैं। प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह की मिट्टी भी जमा करेगा। चंद्रमा की मिट्टी के परीक्षण से यह पता चल पाएगा कि वास्तव में चंद्रमा कितना पुराना है और समय के साथ इसमें क्या बदलाव हुए हैं। यह पृथ्वी समेत हमारे पूरे सौर मंडल के जन्म से जुड़े राज खोलने में मदद कर सकता है।

Chandrayaan-3 कहां उतरा?

इसरो पहले ही Chandrayaan-3 की लैंडिंग साइट की तस्वीर साझा कर चुका है। यह तस्वीर बुधवार शाम 6.04 बजे हुई सटीक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम के कैमरे से ली गई थी। Chandrayaan-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र पर उतरा।

क्या चांद पर संभव है जीवन?

Chandrayaan-3 से मिलने वाली जानकारियों के आधार पर यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या इंसान लंबे समय तक चांद पर रुक सकता है। दूसरे ग्रहों की यात्रा के लिए चंद्रमा को आधार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं? क्या चांद से किसी दूसरे मिशन की शुरुआत भी की जा सकती है, इस मिशन के जरिए यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी।

चांद और धरती के बीच की दूरी का भी लगाया जाएगा पता

Chandrayaan-3 में एक डिवाइस भी लगा है जिससे धरती और चांद के बीच सटी दूरी का भी पता लगाया जा सकेगा। दरअसल, अपनी-अपनी कक्षी में घूमने की वजह से पृथ्वी और चांद के बीच दूरी घटती- बढ़ती रहती है।