नई दिल्ली: सनातन धर्म को लेकर चल रहे विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान पर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। भाजपा समेत कई नेताओं ने इसका विरोध किया है। इस बीच, उदयनिधि ने अब सफाई दी है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी के नेताओं द्वारा बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
पीएम मोदी पर भी तीखा हमला
उदयनिधि ने पीएम नरेंद्र मोदी पर भी तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा पर सवालों का सामना करने से डरते हुए दुनिया भर में घूम रहे हैं। पिछले नौ वर्षों से भाजपा के सभी वादे खोखले हैं। तमिलनाडु के मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार के खिलाफ पूरे देश एकजुट होकर सवाल उठा रहा है कि उन्होंने हमारे कल्याण के लिए क्या किया है?
आगे उदयनिधि ने कहा कि मोदी एंड कंपनी ध्यान भटकाने के लिए सनातन चाल का इस्तेमाल कर रही है। भाजपा नेताओं ने टीएनपीडब्ल्यूएए सम्मेलन में मेरे भाषण को 'नरसंहार भड़काने' वाला बता दिया। वे इसे अपनी सुरक्षा के लिए एक हथियार मानते हैं।
मंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा के कई नेता फर्जी समाचार के आधार पर मेरे खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे है। मेरे खिलाफ गलत अफवाहें फैलाई गई है।
तमिलनाडु के दिग्गज दिवंगत नेता और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम पार्टी के संस्थापक कांजीवरम नटराजन अन्नादुरै के राजनीतिक उत्तराधिकारियों में से एक उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि हर कोई जानता है कि हम किसी भी धर्म के दुश्मन नहीं हैं।
उन्होंने कहा मैं धर्मों पर अन्नादुरै की टिप्पणी उद्धृत करना चाहूंगा जो आज भी प्रासंगिक है। यदि कोई धर्म लोगों को समानता की ओर ले जाता है और उन्हें भाईचारा सिखाता है, तब मैं भी एक अध्यात्मवादी हूं। उन्होंने कहा कि अगर कोई धर्म लोगों को जातियों के नाम पर बांटता है, अगर वह उन्हें छुआछूत और गुलामी सिखाता है तब मैं धर्म का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा उन्होंने कहा कि डीएमके उन सभी धर्मों का सम्मान करती है जो सिखाते हैं कि सभी लोग समान हैं।
उदयनिधि ने सनातन को लेकर ये बयान दिया
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों वाले मच्छरों से करने के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया। शनिवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, "ऐसी चीजों का विरोध ही नहीं किया जाना चाहिए बल्कि नष्ट किया जाना चाहिए।" उदयनिधि की इस टिप्पणी पर कई राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके बाद से कई विवाद खड़ा हो गया है।