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'देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है', PM मोदी के बयान पर क्यों भड़का विपक्ष?

'देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है', PM मोदी के बयान पर क्यों भड़का विपक्ष?

इससे पहले समान नागरिक संहिता के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए उनको बर्बाद कर रहे हैं।

'देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है', PM मोदी के बयान पर क्यों भड़का विपक्ष?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भाजपा के ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने इस कार्यक्रम के जरिए देशभर में भाजपा के करीब दस लाख बूथ कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कह कि उच्चतम न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की वकालत की है लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यूसीसी को लेकर पीएम मोदी के बयान पर अब विपक्ष हमलावर है।

"मेरा बूथ सबसे मजबूत" 

कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि मोदी आगामी चुनावों से पहले "वास्तविक मुद्दों" से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “उन्हें (पीएम) पहले देश में गरीबी, मंहगाई और बेरोजगारी के बारे में जवाब देना चाहिए। वह कभी मणिपुर मुद्दे पर नहीं बोलते, पूरा राज्य पिछले 60 दिनों से जल रहा है। वह सिर्फ इन सभी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।” प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को भोपाल में भाजपा के "मेरा बूथ सबसे मजबूत" अभियान में पार्टी सदस्यों को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने यूसीसी और तीन तलाक पर चर्चा की। 

एएनआई के हवाले से कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने प्रधानमंत्री पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ''जब कोई कानून बनता है तो वह सभी के लिए होता है और उन्हें उसका पालन करना होता है। तो फिर उस बिल पर चर्चा करने की क्या जरूरत है जो पहले ही पारित हो चुका है? पीएम मोदी ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में चुनाव सामने हैं और उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया है। इसलिए, वे तीन तलाक और समान नागरिक संहिता जैसे विषयों पर बात करेंगे।”

"पहले क्यों नहीं लाए UCC"

उन्होंने आगे कहा, “वह (पीएम मोदी) नौ साल से शासन कर रहे हैं, अगर वह यूसीसी लाना चाहते थे, तो उन्होंने पहले ऐसा क्यों नहीं किया? इस पर चर्चा हो सकती थी और सभी राजनीतिक दल इस मामले में अपनी बात रख सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।” कांग्रेस नेता आरिफ मसूद ने एएनआई से बातचीत में कहा, 'पीएम को याद रखना चाहिए कि उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान की शपथ ली है। देश के सभी वर्गों को संविधान पर भरोसा है और वे इसे बदलने या नष्ट होने नहीं देंगे।”

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने मंगलवार को कहा, 'समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों को शामिल होना चाहिए।' डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि यूसीसी को सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “एससी/एसटी सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हमें यूसीसी सिर्फ इसलिए नहीं चाहिए क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो सरकार से नहीं किया जाना चाहिए।”

क्या बोले थे पीएम मोदी

इससे पहले समान नागरिक संहिता के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए उनको बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।’’


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