Agra: क्यों बदल रहा है ताजमहल का रंग, रंग बदलने से ASI चिंतित

Lucknow Desk: जब बात आगरा की आती है तो सबसे पहले ख्याल ताजमहल और वहां के पेठे की आती है। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग ताजमहल घूमने आते है। आज हम बात करेंगे ताजमहल के सफेद संगमरमर से बनी दीवारों का। जो इस समय ताजमहल का दिवार हरा रंग क्यों नजर आ रहा है। इसकी वजह है गोल्डी काइरोनॉमस नाम का कीड़ा जो इसके बदलते रंग के लिए जिम्मेदार है। आखिकार इसकी वजह क्या है जो इस कीड़े के आने से रंग बदल रहा है?

वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI का कहना है कि ताजमहल को छोटे-छोटे से कीड़े से खतरा है। ये कीड़े संगमरमर का रंग बदल रहे हैं। पहली बार इसकी जानकारी 2015 में मिली थी। 2020 में कोविड के दौरान इन कीड़ों का असर कम हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर ये स्मारक के लिए मुसीबत बन गए हैं। इन्हें गोल्डी काइरोनॉमस कहा जा रहा है।

अब चौंकाने वाली बात ये है कि पिछले साल तापमान में गिरावट होने पर ये कीड़े गायब हो गए थे। लेकिन इन साल ऐसा नहीं है। तापमान में गिरावट के बावजूद इनकी संख्या अधिक बनी हुई है और प्रजनन के कारण संख्या में इजाफा हो रहा है। आगरा में ASI के अधीक्षक पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल का कहना है कि एएसआई ताजमहल की सतह पर इन कीड़ों की बढ़ोतरी को रोकने के लिए स्टडी कर रहा है।

क्या है गोल्डी काइरोनॉमस?

जानकारी के अनुसार, बता दे कि गोल्डी काइरोनॉमस एक तरह का कीट है। जो गंदे और प्रदूषित पानी में पनपता है। मादा कीट एक बार में एक हजार अंडे देती है और 28 में ये एक नए कीट के रूप में तैयार हो जाता है। यह दो दिन तक जीवित रहता है। यह ताजमहल पर बैठता है औ अपने मल से ताजमहल के अलग-अलग हिस्से की दीवारों को हरा बना रहा है।

ASI का कहना है कि यह कीट यमुना नदी में मार्च-अप्रैल से सितम्बर-अक्टूबर तक दिखता है, जब तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। लेकिन इस साल ये नवंबर तक भी बने हुए हैं। इनकी ब्रीडिंग का समय बढ़ा है नतीजा, ये अब भी नजर आ रहे है।

ASI के अधीक्षक पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल का कहना है कि इससे निपटने के लिए स्टडी की शुरुआत हो गई है। जिसे पूरा होने पर करीब एक साल का वक्त लग सकता है। कीड़ों की संख्या बढ़ने से सीधा असर ताजमहल की सुंदरता पर पड़ रहा है। वह कहते हैं कि उन कीड़ों को पनपने और सक्रिय होने के लिए 28 से 35 डिग्री का तापमान सही माना जाता है, लेकिन इस साल तापमान कम होने के बावजूद ये सक्रिय हैं।

ताजमहल को नुकसान पहुंचा रहे गोल्डी काइरोनॉमस?

बता दे कि ASI की केमिकल ब्रांच इसे खत्म करने के लिए काम कर रही है। वो इनके ब्रीडिंग सायकल और इनके रहने की आदर्श स्थिति को समझने के साथ इन्हें खत्म करने के लिए स्टडी कर रही है। यह कीट यमुना के प्रदूषित पानी से सीधे ताजमहल तक पहुंच रहे हैं। ताजमहल के अलग-अलग हिस्सों में हरे रंग के स्पॉट छोड़ रहे हैं। नतीजा, जगह-जगह पर काईनुमा धब्बे नजर आ रहे हैं।

वहीं ये भी दावा किया जा रहा है कि कीट यमुना में बढ़ते प्रदूषण के कारण पनपा है, लेकिन यमुना में प्रदूषण क्यों बढ़ता रहा है, इसका एक कारण भी बताया गया है। आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष ने यमुना में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए रुकी हुई ताज बैराज निर्माण परियोजना को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि अगर यह निर्माण पूरा हो जाता, तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था। उन्होंने प्रस्ताव रखा था कि या तो यमुना के बहाव के लिए चौड़ाई बढ़ाई जाए या या पानी के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए ताज महल से नीचे की ओर एक बैराज का निर्माण किया, जिससे आमतौर पर रुके हुए पानी में होने वाले कीड़ों के प्रजनन को रोका जा सके।


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