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Aditya-L1 Mission

Aditya-L1 Mission Launch: सूर्य नमस्कार करने निकला Aditya-L1, ISRO ने किया सफल प्रक्षेपण

नई दिल्ली: आज भारत ने एक बार फिर बड़ी कामयाबी हासिल की है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद ये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 आज सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया। आज सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया गया है। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 पर पहुंचेगा। इसके बाद पॉइंट से बेहद अहम डेटा भेजेगा।

कैसे उड़ान भरा Aditya-L1

बता दे कि Aditya-L1 को PSLV-XL रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़ा गया है। ये रॉकेट आदित्य-L1 को धरती की निचली कक्षा में छोड़ेगा। इसकी पेरिजी 235 किलोमीटर और एपोजी 19,500 किलोमीटर होगी । पेरीजी का मतलब है धरती से नजदीकी दूरी और एपोजी का अर्थ है अधिकतम दूरी। आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है। लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा।

Aditya-L1 की लॉन्चिंग से पहले जम्मू के स्कूली छात्रों ने ISRO को दी शुभकामनाएं

ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 की सफलता के लिए देशभर में प्रार्थनाएं की गई। इसी क्रम में जम्मू में छात्रों ने इस मौके पर खुशी जाहिर की। एक छात्र ने बताया कि हम सूर्य मिशन को लेकर बहुत उत्साहित हैं। यह गर्व का पल है। हमारा पूरा स्कूल इसरो के साथ है और इसकी सफल लॉन्चिंग की कामना कर रहा है। हमें भारतीय होने पर गर्व है।

सफलता के लिए किया गया पूजन व हवन

देशभर में सूर्य मिशन Aditya-L1 को लेकर लोगों में उत्साह है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब Aditya-L1 सूर्ययान की सफलता के लिए कांदिवली के मिथिला हनुमान मंदिर में हवन किया जा रहा है। वाराणसी में भी मिशन की सफलता की कामना के लिए हवन किया जा रहा है। ऐसी ही नजारा उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है, जहां सूर्य मिशन की सफलता के लिए पूजा-पाठ और विशेष पूजा की गई।

सोलर मिशन Adity-L1 के फायदे

ISRO के अनुसार, हालो ऑर्बिट में आदित्य-एल1 को भेजने से एक बड़ा लाभ है क्योंकि यह बिना किसी ग्रह की बाधा के लगातार सूर्य को देख सकता है। इसरो ने कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके असर को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। आदित्य एल-1 के 4 पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे, और शेष 3 एल1 बिंदु पर कणों और इलाके का लगातार अध्ययन करेंगे।


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