
पूरी दुनिया में लहराया परचम, गूगल मना रहा 86वां जन्मदिन
आज गूगल खोलते वक्त हमें डूडल में एक महिला देखने को मिल रही है,वो और कोई नहीं बल्कि भारतीय-अमेरिकी कलाकार और प्रिंटमेकर जरीना हाशमी हैं और आज उनका जन्मदिन है। गूगल अपने डूडल के जरिए उनके 86वें जन्मदिन पर उन्हें याद कर रहा है।पूरी दुनिया में जरीना अपनी न्यूनतम् शैली में अपने प्रमुख व्यक्तित्व के लिए जानी जाती थी। आपको बता दें कि जरीना का जन्म आज ही के दिन 1937 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था।वे अपने 4 भाई बहन के साथ रहती थी।विभाजन के दौरान उनको अपने भाई बहनों के साथ पाकिस्तान के कराची में जाने को मजबूर हो गए। आपको बता दे कि जरीना हाशमि ने 21 साल की उम्र में एक युवा विदेश सेना से जुड़े राजनायिक से शादी कि थी जिसके बाद से उन्होने दुनिया की यात्रा का दौरा शुरु किया था। पेरिस,जापान और बैंकॉक की यात्रा करने वाली जरीना हाश्मी यहीं से अपनी प्रिंटमेकिंग और मॉर्डिनिस्ट और एबस्ट्रैक्ट आर्ट प्रवृत्तियों से अवगत कराया।
नारीवादी का हिस्सा बनी जरीना
दरअसल, जरीना हाश्मी 1997 में न्यूयॉर्क चली गई थी और वहीं महिलाओं सहित कई कलाकारों की वकील भी बन गईं थी।वहीं वे हेरिसीज क्लेक्टिव की मेंबर भी बन गईं थी। बताया जाता है कि ये पत्रिका एक नारीवादी पत्रिका थी जिसमें राजनीति , कला और सामातिक न्याय के संबंधों के बीच की बात लिखी गई थी। आपको बता दें कि वे वहीं फेमिनिस्ट ऑर्ट इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाना शुरु कर दिया था।उसके बाद उन्होने महिला कलाकारों कि पढ़ाई को लेकर भी आवाज़ उठाई थी।वहीं इसके बाद 1980 में ऑल इंडिया रेडियो के गैलरी में 'डायलेक्टिक्स ऑफ आइसोलेशन: एन एक्जीबिशन ऑफ थर्ड वर्ल्ड वूमेन आर्टिस्ट्स ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स' नामक एक प्रदर्शनी का सह-संचालन भी किया था।
आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट माध्यम से हुई अंर्तराष्ट्रीय पहचान
जरीना हाश्मी को लोग अंर्तराष्ट्रीय तौर पर तब जानने लगे जब उन्होने वुड्सकट्स और ईन्टैलिगो प्रिंट दिया जिसमें उन घरों कि अर्घ-अमूर्त छवियां भी शामिल थीं जहां पर जरीना हाश्मी रहती थीं।वहीं काम में अक्सर उनकी मूल उर्दू में शिलालेख और इस्लामी कला से प्रेरित ज्यामितीय तत्व शामिल हुआ करते थे।
आपको बता दें कि जरीना हाश्मी का निधन 25 जुलाई 2020 को अल्जाईमर बीमारी के चलते हुआ था।