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कामयाबी की उड़ान चांद के करीब पहुंचा Chandrayaan-3

कामयाबी की उड़ान चांद के करीब पहुंचा Chandrayaan-3, जानें अब कितनी दूरी रह गई ?

नई दिल्ली: मिशन चांद्रयान 3 के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। ISRO की टीम ने आज दोपहर 2 बजे चंद्रयान 3 को दो स्पेसक्रॉफ्ट में बांट दिया है। प्रॉपल्शन मॉड्यूल और विक्रम लैंडर दोनों अलग हो गए है। चंद्रयान-3 लॉन्च के 34 दिनों बाद हुआ है। ISRO की तरफ से जानकारी दी गई थी कि 17 अगस्त की सुबह लैंडिंग होगी। यानी कुछ ही दिनों में चांद की सतह पर चांद्रयान 3 पहुंच जाएगा।

बाकी दूरी विक्रम को करनी है तय

18 अगस्त से 20 अगस्त को होने वाली डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किमी0 वाले पेरील्यून और 100 किमी0 वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। पेरील्यून यानी चांद की सतह से कम दूरी। एपोल्यून यानी चांद की सतह से ज्यादा दूरी। बता दे कि चांद्रयान-3 की अब तक दूरी पेरील्यून ने पूरी कराई है और अब इसके बाद विक्रम को चांद की दूरी खुद तय करनी है। 

तय समय के अनुसार पहुंचेगा चंद्रयान-3

बुधवार को ISRO ने जानकारी दी थी कि चंद्रयान 3 चांद के काफी करीब पहुंच गया है। चंद्रयान चांद का कक्षा 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर में पहुंच गया है। ISRO की ओर से कहा गया है यह तय कार्यक्रम के अनुसार ही पहुंचा है। चंद्रयान से लैंडिंग मॉड्यूल अलग होने के बाद इस मिशन का अहम चरण पूरा हो जाएगा।

ऐसे चांद के करीब पहुंचता गया चंद्रयान-3

ISRO की तरफ से ट्वीट किया गया है कि चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका पहले से अनुमान लगाया गया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई।" चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद इसने छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया और चांद के पास पहुंचता चला गया।

ISRO ने दी जानकारी

दरअसल, ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने लैंडिंग को लेकर जानकारी दी है। उन्होंने कहा था कि लैंडिंग का सबसे जरूरी हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और व्हीकल को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल डायरेक्शन में पहुंचाने की क्षमता वो प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी।

इसकी प्रक्रिया पूरी कर दी गई। इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने की कोशिश के लिए कई एल्गोरिदम लगाए गए हैं। अगर 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है तो ये भारत की बड़ी कामयाबी होगी।

जानें कितनी रह गई है चांद से चंद्रयान की दूरी

चांद के चारों तरफ चंद्रयान-3 के सारे ऑर्बिट मैन्यूवर पूरे हो चुके हैं। चंद्रयान-3 चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में पहुंच गया है। यह 153 किलोमीटरx163 किलोमीटर की ऑर्बिट है। अब चंद्रयान का कोई ऑर्बिट नहीं बदला जाएगा। 5 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था। वहीं अब, विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल से अपनी अलग यात्रा शुरू कर चुका है।


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