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Maulana Mahmood Madani

Mohan Bhagwat के बयान का Maulana Mahmood Madani ने की तारिफ, बोले- बहुत सारे किंतु और परंतु हैं...

Lucknow Desk: जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तारिफ की है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। मौलाना महमूद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि मुस्लिम समुदायों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के बीच बातचीत होनी चाहिए। इसी बीत उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान का समर्थन किया।

देश में चल रही धार्मिक मतभेदों को लेकर मौलाना महमूद मदनी ने कहा, बहुत सारे किंतु और परंतु हैं मेरे संगठन ने प्रस्ताव भी पारित किया है। जिस पर RSS से बातचीत के लिए मदनी ने कहा है। वहीं मदनी ने आगे कहा कि धार्मिक मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन हमें इन्हें कम करने की जरूरत है। हम बातचीत के सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे। आरएसएस प्रमुख ने हाल ही में ज्ञानवापी, मथुर और काशी के बारे में बयान दिया। मुस्लिम समुदाय से बात करने की उनकी कोशिश एवं प्रयासों की सराहना एवं प्रशंसा होनी चाहिए। हम सभी तरह की बातचीत का समर्थन करेंगे।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने क्या कहा था?

इससे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि राम मंदिर ही एकमात्र ऐसा आंदोलन है, जिसका संघ ने आधिकारिक तौर पर समर्थन देता है। वहीं काशी और मथुरा के आंदोलनों की वकालत करने की अनुमति है। उन्होंने भारत में इस्लाम की स्थायी उपस्थिति पर भी बातचीत करते हुए, जनसांख्यिकी संतुलन के लिए हर भारतीय से तीन बच्चे पैदा करने का आग्रह किया और असंतुलन के लिए धर्मांतरण और अवैध प्रवासन को जिम्मेदार ठहराया है।

राम मंदिर के लिए आंदोलन किया-भागवत

वहीं ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा-काशी विवाद पर भागवत के बयान का हवाला देते हुए मदनी ने कहा, इस तरह की सोच बनाने की जरूरत है। दरअसल, आरएसएस प्रमुख ने कहा है कि राम मंदिर आंदोलन ही ऐसा मुहिम था जिसे आधिकारिक रूप से आरएसएस का समर्थन प्राप्त था। हालांकि, आरएसएस के सदस्यों को काशी एवं मथुरा आंदोलनों में भाग लेने की इजाजत दी जाती है।

मौलाना महमूद मदनी ने किया अमेरिकी टैरिफ का जिक्र

मौलाना महमूद मदनी ने अमेरिकी टैरिफ को लेकर कहा कि भारत को मजबूती से खड़ा होना चाहिए, हम आधी रोटीखाएंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं। कोई समझौता नहीं होना चाहिए, अगर समझौता हो भी, तो वह बराबरी पर होना चाहिए। हम टैरिफ पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रुख का समर्थन करते हैं।


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