Ramnath kovind

One Nation One Election: एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर सियासत शुरु, कोविंद के नाम पर ही क्यों लगी मुहर?

नई दिल्ली: 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर देश में हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र के साथ ही वन नेशन वन इलेक्शन की भी चर्चा शुरु कर दी है। बता दे कि केंद्र सरकार ने जून की शुरुआत से ही वन नेशन वन इलेक्शन की शुरुआत कर दी थी। इसकी भूमिका पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपी कई है। जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बहरहाल, इससे जुड़ा बिल सत्र में पेश होगा या नहीं, अभी तक कुछ तय नहीं हुआ है। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है जल्द ही देश में एक राष्ट्र एक चुनाव के फैसले पर मुहर लग सकती है। इस फैसले पर मुहर लग जाती है तो विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कोविंद की मुलाकात

बता दे कि भारत के नए संसद भवन के उद्धाटन के कुछ दिनों के बाद ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा भी मौजूद थे। मिली जानकारी के अनुसार, इस मुलाकात से ही एक राष्ट्र एक चुनाव पर बड़ी चर्चा शुरु हो गई थी। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही है कि 18 सितंबर से शुरु रहे पांच दिवसीय संसद सत्र के दौरान ये बिल पेश किया जा सकता है।

कोविंद के नाम पर ही मुहर क्यों?

केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान कर दिया है। समिति उनकी अगुवाई में काम करेंगी। इसके बाद सदस्यों की भी घोषणा कर दी गई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर रामनाथ कोविंद के नाम पर मुहर क्यों लगाई है? इसके पीछे कई जवाब है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति जटिल कानूनी मामलों को आसानी से संभाल सकते है। इसके साथ ही वे पीएम मोदी के भरोसेमंद माने जाते है। रविवार को केंद्रीय कानूनी मंत्रालय के आधिकारियों ने समिति से जुड़े कामों को लेकर मुलाकात की थी। मिली जानकारी के अनुसार, बीते 3 महिनों से राष्ट्रपति 10 से ज्यादा राज्यपालों से मुलाकात कर चुके है।

विपक्ष को लग सकता है झटका

अगर देश में एक राष्ट्र एक चुनाव लागू हो जाएगा तब विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल, अगर देश में एक राष्ट्र एक चुनाव होतो है तो पश्चिम बंगाल में TMC, कांग्रेस और वाम दलों के बीच लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव के लिए गठबंधन मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही ये स्थिति AAPऔर Congress के बीच पंजाब और दिल्ली में भी बन सकती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने कुछ सीटों पर पहले से ही उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। जिसके कारण विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है।


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