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ISRO सूर्य मिशन के लिए तैयार

Solar Mission Aditya: चंद्रयान के बाद सूर्य मिशन की तैयारी, ISRO ने दी जानकारी, जानें क्या बोले सोमनाथ?

नई दिल्ली : चांद्र पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से पूरी दुनिया में भारत और ISRO की वाहवाही कर रही है। भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान के लैंडर को लैंड करवाने वाला पहला देश बन गया है। ISRO चांद के बाद अब सूर्य पर जाने की तैयारी कर रहा है। इस बात की जानकारी ISRO प्रमुख सोमनाथ ने दी है। मिली जानकारी के अनुसार, ISRO चंद्रयान 3 के बाद सूर्य मिशन और चांद पर मानव भेजने की तैयारियों में जुट गए हैं।

सोमनाथ ने प्रज्ञान रोवर की दी जानकारी

चंद्रयान 3 की सफल लैडिंग के बाद आज यानी 24 अगस्त को ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 की जानकारी दी। सोमनाथ ने प्रज्ञान रोवर और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रसायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं। इसके अलावा यह सतह पर चक्कर लगाएगा। हम एक रोबोटिक पथ नियोजन अभ्यास भी करेंगे जो हमारे लिए भविष्य के अन्वेषणों के लिए महत्वपूर्ण है।

चंद्रयान के बाद सूर्य मिशन की लॉन्चिंग की तैयारी

ISRO चंद्रयान के बाद अब गगनयान मिशन और Aditya L1 की तैयारी पर है। बता दे कि आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन पर ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि गगनयान पर अभी भी काम चल रहा है। हम क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए संभवतः सितंबर या अक्टूबर के अंत तक एक मिशन करेंगे, जिसके बाद कई परीक्षण मिशन होंगे जब तक कि हम संभवतः 2025 तक पहला मानव मिशन नहीं कर लेते है।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के साउथ पोल को चुनने पर ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि हम साउथ पोल के करीब चले गए जो लगभग 70 डिग्री है। सूर्य द्वारा कम प्रकाशित होने के संबंध में साउथ पोल को एक विशिष्ट लाभ है। चंद्रमा पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने साउथ पोल में बहुत रुचि दिखाई क्योंकि अंततः मनुष्य वहां जाकर उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं। इसलिए हम सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं और साउथ पोल में वह क्षमता है।

क्या है Aditya-L1 Mission

ISRO के अनुसार, Aditya-L1 Mission सूर्य की स्टीडी करने वाला पहला स्पेबस बेस्डे भारतीय मिशन होगा। पृथ्वीय से लॉन्चन करने के बाद Aditya-L1 स्पे‍स ऑब्जार्वेट्री को सूर्य-पृथ्वी सिस्टIम के लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में पहुंचाया जाएगा। यह कक्षा, पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। उस पॉइंट पर पहुंचने का मतलब है कि ऑब्जहर्वेट्री हमेशा सूर्य पर नजर बनाए रख सकेगी। आदित्यह एल-1 मिशन का काम होगा सौर गतिविधियों और स्पेपस वेदर का पता लगाना। डेटा को इसरो तक भेजा जाएगा, जिससे यह आकलन करना आसान होगा कि सूर्य की वजह से पृथ्वीप किसी मुसीबत में तो नहीं!  

120 दिन में मंजिल पर पहुंचेगा Aditya

एस. सोमनाथ ने बताया कि लॉन्च के बाद ‘Aditya' L-1 स्पेासक्राफ्ट एक अंडाकार कक्षा में जाएगा और वहां से अपनी यात्रा को पूरा करेगा। लैग्रेंज बिंदु-1 (एल-1) तक पहुंचने में उसे 120 दिन लगेंगे। याद रहे कि इस दौरान स्पेोसक्राफ्ट 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचने में 41 दिनों का समय लगा और उसने 3 लाख किलोमीटर से कुछ ज्याादा का सफर तय किया।

बता दे कि 3,897.89 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को 615 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था। लेकिन, आगामी मिशन के लिए इसरो को सरकार से मोटा बजट मिलने की संभावना है। हालांकि, अभी लागत को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया है।


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