
कब रखा जाएगा Jitiya Vrat?, जानिए व्रत में धागा पहनने की परंपरा
Lucknow Desk: हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से जितिया व्रत रखती हैं। इस साल यह व्रत 14 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दौरान महिलाएं निर्जला उपवास रखकर भगवान की पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता ये है कि जितिया से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाओं का पाठ करना शुरू होता है। जिसके बाद ही यह व्रत शुभ माना जाता है। जितिया व्रत में ‘जीउतिया’ धागा पहनना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसे न पहनने से व्रत का फल अधूरा माना जाता है।
जीउतिया व्रत में धागा पहनने की परंपरा
जितिया व्रत में ‘जीउतिया’ या धागा बांधने की परंपरा काफी पुरानी है। ये सिर्फ धार्मिक मान्यता से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि इसे संतान की सुरक्षा और लंबी आयु का प्रतीक माना जाता है। माताएं इस धागे को अपने हाथ या गले में पहनती हैं। धार्मिक और लोकविश्वास दोनों ही इसे व्रत की सफलता से जोड़ते हैं।
जितिया की सबसे प्रसिद्ध चील और सियारन की कथा
जितिया की सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है चील और सियारन की कथा। कहा जाता है नर्मदा नदी के किनारे एक जंगल में एक चील और एक सियारन रहते थे। दोनों बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन दोनों ने गांव की महिलाओं को जितिया व्रत की पूजा की तैयारी करते देखा। इसके बाद दोनों ने व्रत रखने का निश्चय किया।
इस दौरान दोनों ने विधि-विधान से जितिया व्रत रखा, लेकिन कुछ समय बाद सियारन को भूख लगता है तो वह भूख सहन नही कर पाती है और चोरी से भोजन कर लिया, वहीं चील ने पूरे नियम से इस व्रत को पूरा किया।
अगले जन्म में दोनों बहन बनकर एक राजा के घर में जन्म लेती हैं। बड़ी बहन (सियारन) के बच्चे बार-बार मर जाते थे, वहीं छोटी बहन (चील) के बच्चे स्वस्थ रहते थे। जलन के कारण बड़ी बहन ने कई बार अपनी छोटी बहन और उसके बच्चों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई। अंत में जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसने भी जितिया व्रत किया। इसके बाद उसे संतान सुख और बच्चों की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिला।