सुनील ओझा

BJP नेता सुनील ओझा का निधन, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता PM Modi के मिस्टर भरोसेमंद

Lucknow Desk: पीएम मोदी के करीबी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुनील ओझा का बुधवार को निधन हो गया। प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम नेताओं ने ओझा के निधन पर संवेदना व्यक्त की है। नेताओं का कहना है कि ओझा के निधन से पार्टी को बड़ी क्षति हुई है। बता दे कि गड़ौली धाम में राम कथा के दौरान डेंगू होने से उन्हें वाराणसी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां हालत गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली के हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन कल 29 नवंबर को उनकी मौत हो गई।

कौन है सुनील ओझा ?

दरअसल, सुनील ओझा गुजरात के भावनगर के मूल निवासी थे। एक साल पहले ही उन्हें बिहार का दायित्व सौंपा गया था। इससे पहले वह उत्तर प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी रह चुके हैं। इस दौरान उनका केन्द्र वाराणसी था। वाराणसी में वह पीएम मोदी कार्यालय को भी संभाल चुके हैं।

उन्हें पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता था। ओझा को बिहार में भाजपा को मजबूत करने के लिए नियुक्त किया गया था। अमित शाह द्वारा बिहार के सभी प्रमंडलों में सभाएं और लोकसभा क्षेत्र में जनसभाओं का मूल रणनीतिकार ओझा को माना जा रहा है।

सुनील ओझा को पीएम मोदी का मिस्टर भरोसेमंद के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत 21 साल पहले राजकोट से हुई थी, जब पीएम मोदी चुनावी राजनीति में उतरे थे।

कैसे बने पीएम मोदी के करीबी

बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला चुनाव 2002 में लड़ा था। तभी राजकोट में उनके चुनाव के प्रभारी सुनील ओझा ही थे। ओझा ने अपनी सूझबूझ और मेहनत के जरिए अपनी मिस्टर भरोसेमंद की छवि गढ़ी थी। कहा जाता है कि सुनील ओझा का पीएम मोदी से इससे भी पुराना नाता है। पीएम मोदी जब संगठन महामंत्री थे, तब से ओझा का उनसे परिचय है।

सुनील ओझा को जब बिहार ट्रांसफर किया गया था तब सोशल मीडिया पर 21 साल पुरानी एक फोटो वायरल हो रही थी जिसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुनील ओझा, ज्योतिंद्र मेहता और भीखूभाई दलसानिया नजर आ रहे हैं। तभी से राजनीतिक गलियारों में कयासों का सिलसिला शुरू हो गया था।

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