
भाजपा,सुभासपा में होगी जंग? रामपुर,कुंदरकी के बाद मऊ में BJP
क्या भाजपा एक-एक करके उत्तर प्रदेश कि सभी मुस्लिम बाहुल सीटों पर अपना कब्जा जमा लेगी क्या भाजपा जो पूर्ण रूप से चुनावों में नहीं कर पाई वो एक-एक सीट खाली होने के बाद उन पर कब्जा करती चली जाएगी? और क्या जो भाजपा ने इससे पहले रामपुर, कुंदरकी और मिल्कीपुर सीट पर किया था कुछ वैसा ही मऊ सीट पर भी करने में कामयाब होगी? खैर ये तो समय बताएगा पर इन सबके बाद जिस एक चीज पर और सवाल खड़ा होता है वो है कि क्या इस मऊ सीट के बाद भाजपा और सुभासपा के बीच मनमुटाव देखने को मिल सकता है जो फिलहाल तो सहयोगी हैं लेकिन जैसा कि आप सभी को शायद पता होगा कि इस मऊ सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी विधायक थे। जिन्हें 2022 में जब सुभासपा और सपा एक साथ थे तब सीटों के वितरण को लेकर हुए समझौते के चलते समाजवादी पार्टी के अब्बास अंसारी को को सुभासपा न अपने टिकट से चुनाव लड़ा दिया था और वो चुनाव जीत गए थे। पर उसके बाद उनके द्वारा दिए गए नफरती भाषण के चलते अब मऊ कि एमपी और एमएलए कोर्ट ने उन्हें दो साल कि सजा सुनाई दी है और उनकी विधायकी भी रद्द कर दी गई है। तो अब ऐसे में क्या इस समय जब भाजपा और सुभासपा एक साथ हैं तो भाजपा अगर ये सीट जीतने में कामयाब होती है तो दोनों पार्टियों में कुछ खटपट दिखाई दे सकती है या फिर दोनों पहले कि तरह साथ में मिलकर ही चुनाव लड़ने वाले हैं ये देखना अपने आप में दिलचस्प होगा।
खैर इस मऊ सीट से पहले भी उत्तर प्रदेश में जहां-जहां कुछ बड़ी सीटों के खाली होने के चलते दोबारा चुनाव कराए गए हैं उनकी बात करें तो सबसे पहले रामपुर और कुंदरकी कि तरफ नजर डालें तो
रामपुर और कुंदरकी दोनों पर भाजपा ने किया था कब्जा
रामपुर और कुंदरकी दोनों मुस्लिम बाहुल सीटें भाजपा ने उपचुनाव में ही जीती थीं। बता दें कि सपा नेता आजम खां रामपुर से छह बार विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा जीतीं। इसी के चलते रामपुर को आजम खां का गढ़ माना जाता था लेकिन आजम के जेल जाने के बाद 2022 में उनकी सदस्यता चली गई और फिर उपचुनाव हुआ तो यहां से भाजपा के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल की।बता दें कि ये पहली बार था जब रामपुर से किसी गैर मुस्लिम प्रत्याशी ने जीत दर्ज कि हो। तो वही अब बात करें कुंदरकी कि तो वहां पर भी कुछ ऐसा ही आलम नजर आया। जहां पर शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद उनके पौत्र जियाउर्रहमान बर्क 2024 में संभल से सांसद बने तो कुंदरकी सीट खाली हो गई। इस पर उपचुनाव हुआ तो भाजपा के रामवीर सिंह ने यहां से जीत हासिल की और एक और सीट भाजपा की झोली में आ गई।
मिल्कीपुर में भी भाजपा ने दिखाया दम
ये सिर्फ दो मुद्दे नहीं थे इसके अलावा फैजाबाद में अयोध्या कि मिल्कीपुर सीट को भी इसमें जोड़ा जा सकता है। हालांकि वहां बहुत ज्यादा हिन्दू और मुस्लिम फैक्टर नहीं था पर भारतीय जनता पार्टी के लिए राम मंदिर बनने के बाद फैजाबाद कि लोकसभा सीट हारने के बाद वो एक आत्म सम्मान कि लड़ाई और साथ ही सायकॉलिजली विपक्ष पर अधिपत्य जामाना था। कि अयोध्या हमारे ही साथ है।
तो अब इन तीन सीटों के बाद देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा एक और उलटफेर करते हुए मऊ कि सीट पर भी कब्जा जमा लेगी। जहां पर मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में हैं। जहां पर 2011 कि जनगणना को मानें तो 19.43 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है जो कि आज 14 साल बाद शायद और अधिक होगी तो ऐसे में अगर बीजेपी यहां पर भी अपनी जीत दर्ज करने में कामयाब होगी तो 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी कि अपने आप में एक बड़ी जीत होगी। वहीं इसी बीच हमारी नजरें भाजपा और सुभासपा के ऊपर भी रहेंगी और देखना होगा कि दोनों किस रणनीति से उतर रही हैं। क्या अभी साथ में हैं या फिर कुछ मनमुटाव देखने को मिल सकता है। ये सारी चीजें देखना बड़ा दिलचस्प होगा खासतौर पर 2027 के चुनावों को देखते हुए