One Nation One Election

केंद्र सरकार का बड़ा कदम, One Nation, One Election के लिए बनाई कमेटी

नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे तुल पकड़ता जा रहा है। केंद्र सरकार अब वन नेशन, वन इलेक्शन के थीम पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में काम करना शुरु कर रही है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में काम करेगी। ये कमेटी सभी प्रकार के पहलुओं पर विचार करेगी और एक देश, एक चुनाव की संभावना का पता लगाएगी। इसके साथ-साथ कमेटी लोगों की राय भी जानेगी।

केंद्र सरकार ने बुलाया संसद का विशेष सत्र

दरअसल, वन नेशन वन इलेक्शन केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया कदम है। बता दे कि केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है। मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार संसद के विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव को लेकर बिल पेश कर सकती है।

मोदी सरकार के 9 सालों का पहला विशेष सत्र

आगामी विशेष सत्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 9 सालों का पहला ऐसा विशेष सत्र होगा। इसके पहले 30 जून 2017 को जीएसटी लागू करने के लिए आधी रात को लोकसभा और राज्यसभा की विशेष संयुक्त बैठक बुलाई गई थी। 18 सितंबर से बुलाया गया ये पांच दिनों का पूर्ण सत्र होगा, जिसमें पांच बैठकें होंगी। इसमें दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की अलग-अलग बैठकें होंगी, जैसे सामान्य सत्र के दौरान होती हैं।

बीजेपी के एजेंडे में One Nation, One Election

बीजेपी ने कई बार वन नेशन, वन इलेक्शन का मुद्दा उठाया है। इस मुद्दे को लेकर कई बार पीएम मोदी और बीजेपी के कई नेता बोल चुके है। 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के घोषणापत्र में भी ये मुद्दा शामिल था।

घोषणा पत्र में कहा गया था कि बीजेपी अपराधियों को खत्म करने के लिए चुनाव सुधार शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी अन्य दलों के साथ परामर्श के माध्यम से विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की पद्धति विकसित करने की कोशिश करेगी। चुनाव खर्चों को कम करने के अलावा राजनीतिक दलों और सरकार दोनों के लिए, यह राज्य सरकारों के लिए कुछ स्थिरता सुनिश्चित करेगा। हम खर्च सीमा को वास्तविक रूप से संशोधित करने पर भी विचार करेंगे।

One Nation, One Election के क्या है लाभ

पीएम मोदी ने खुद वन नेशन, वन इलेक्शन की वकालत कर चुके है। सरकार ने इस बिल के समर्थन में कई तर्क दिए है कि इससे चुनाव में होने वालों करोड़ों रुपये बचाए जा सकते है।

बता दें कि 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि खर्च हुई थी। पीएम मोदी कह चुके हैं कि इससे देश के संसाधन बचेंगे और विकास की गति धीमी नहीं पड़ेगी।


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