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पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

Article 370 रद्द करने के विरोध में पी. चिदंबरम ने केंद्र पर साधा निशाना, बोले- महबूबा मुफ्ती को नजरबंद क्यों रखा?

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में जब से अनुच्छेद 370 निरस्त हुआ है तब से आज तक देश में इसका सियासत खत्म नहीं हुआ है। कल यानी शनिवार (5 अगस्त 2023) को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ मनाई गई। इस दौरान जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को घर में नजरबंद रखा गया है। इस क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे भारत में ‘‘आजादी का दमन'' किया गया है लेकिन केंद्र शासित प्रदेश में इसे सबसे ज्यादा दबाया गया है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के चार साल पूरे होने पर सरकार ने शनिवार को कहा था कि इस ‘‘ऐतिहासिक'' फैसले से जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की शुरुआत हुई।

कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी'

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में कहा था कि अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के फैसले के बाद सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि अब केंद्रशासित प्रदेश के लोग अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जी रहे हैं। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद राज्य (अब केंद्र शासित प्रदेश) में आयी शांति' का जश्न मना रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रपति (जॉन) केनेडी को उद्घृत करना चाहता हूं जिन्होंने कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी' के खिलाफ आगाह किया था।''

महबूबा मुफ्ती को नजरबंद क्यों रखा है-चिदंबरम

चिदंबरम ने पूछा कि अगर जम्मू-कश्मीर में इतनी शांति है तो सरकार ने महबूबा मुफ्ती को नजरबंद क्यों रखा है और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा नेशनल कांफ्रेंस के कार्यालयों को सील क्यों कर दिया। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘पूरे देश में आजादी का दमन किया गया है लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसे सबसे ज्यादा दबाया गया है।'' केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।

शनिवार को थी चौथी वर्षगांठ

बता दें, भाजपा ने शनिवार को श्रीनगर में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ मनाई। इस दौरान नेताओं ने कहा कि साल पांच अगस्त, 2019 के फैसले के बाद अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व स्थिरता का दौर है। तीन दशकों की उथल-पुथल के बाद क्षेत्र में जीवन सामान्य हो गया है। राज्य में लगातार प्रगति हो रही है। तीन वर्षों में स्कूल, कॉलेज और अन्य सार्वजनिक संस्थान कुशलता से काम कर रहे हैं। पत्थरबाजी अतीत की बात हो गई है। अब घाटी के लोगों को भी वह अधिकार प्राप्त हैं, जो देश के दूसरे प्रांतों के लोगों को हैं।

यह है मामला

5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया था। अनुच्छेद 370 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था। केंद्र ने तर्क दिया था कि जिस ऐतिहासिक संवैधानिक कदम को चुनौती दी जा रही है उससे क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास, प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता आई है, जो पुराने अनुच्छेद 370 शासन के दौरान अक्सर नहीं थी।


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