Sanjay Nishad

Lucknow News: मझवार आरक्षण के विषय पर केंद्र एवं राज्य सरकार गंभीर - संजय निषाद

Lucknow Desk: आज दिनांक 7 नवंबर दिन मंगलवार को निषाद पार्टी सुप्रीमो एवं कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्स्य विभाग की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मछुआ समाज को सीधे तौर पर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में देश के मछुआरों के विकास के लिए 39000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं बल्कि इसके विपरीत पूर्व की केंद्र की सरकारों ने 67 वर्ष में 3000 करोड रुपए ही आवंटित किए थे। उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार उत्तर प्रदेश के छुआ समाज के विकास के लिए कटिबद्ध हैं। निषाद ने कहा कि प्रदेश में मछुआ समाज के उत्थान हेतु विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं जैसे  प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, प्रधानमंत्री मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (मत्स्य पालन क्षेत्र हेतु), मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषाद राज वोट योजना, मछुआ कल्याण कोष (6 मदो के तहत मछुआ समाज को आर्थिक सहायता पहुंचाने हेतु) संचालित की जा रही हैं।

निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल "निषाद पार्टी" द्वारा प्रादेशिके संवैधानिक मछुआ एससी आरक्षण महाजनसंपर्क अभियान के संदर्भ में बताते हुए कहा कि पहले चरण में मंडल वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्ज़ापुर, गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ के जिलों में पहुँच गया है। मछुआ समाज का सीधा जुड़ाव मिल रहा है, मछुआ समुदाय आरक्षण के मुद्दे पर निषाद पार्टी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है। निषाद पार्टी का गठन मछुआ आरक्षण को लेकर हुआ था और आज भी निषाद पार्टी अपने मुद्दे पर अडिग है। पूर्व की कांग्रेस सपा बसपा की सरकारों ने मछुआ एससी आरक्षण के मुद्दे पर मछुआ समाज को केवल गुमराह करने का काम किया था, आज प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मछुआ आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर है, मुख्यमंत्री ने RGI रजिस्टार जनरल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज को पूर्व में किस कोट के तहत आरक्षण मिलता था उसकी जानकारी मांगी गई थी, जिस पर रगी ने उत्तर देते हुए कहा है कि 1931, 1941, 1951 ,1961, 1971, 1981 और 1991 तक उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज की गिनती अनुसूचित जाति में की जाती थी।

निषाद ने आगे कहा कि उत्तराखंड की तर्ज पर शिल्पकार जाती नहीं जातियों का एक समूह है जैसा शासनादेश जारी किया जाना है की उत्तर प्रदेश में मझावर जाती नहीं जातियों का एक समूह है और विभिन्न 16 उपजातियां मझवार की पर्यायवाची जातियां हैं, प्रदेश एवं केंद्र सरकार मछुआ आरक्षण के विषय पर गंभीर है और जल्द ही सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।

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