G20 Meet : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया सम्बोधन , बोले : सबसे ज्यादा गरीब परेशान
Lucknow Desk : आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता में G20 भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। उन्होंने आज गरीबों - वंचितों को लेकर कही बातें। उन्होंने सम्बोधन में कहा कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता की सख्त नीति है। भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा प्रभाव गरीबों पर पड़ता है। इसलिए भ्रष्टाचार से लड़ना हमारी जिम्मेदारी है। हमने आर्थिक भगौड़ों के खिलाफ कानून बनाया। हमारी लड़ाई अब भी जारी है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी बैठक के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया।
पीएम मोदी ने कहा, " भारत एक पारदर्शी और जवाबदेह पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस का लाभ उठा रहा है।'' पीएम मोदी ने आगे टैगोर के लेखन का उल्लेख किया और लालच के प्रति आगाह किया क्योंकि यह हमें सच्चाई का एहसास करने से रोकता है। उन्होंने प्राचीन भारतीय उपनिषदों को भी छुआ जो 'मा गृध' के लिए प्रयास करते हैं, जिसका अनुवाद है 'कोई लालच न हो'।
पीएम मोदी ने आगे रेखांकित किया कि भ्रष्टाचार का सबसे अधिक प्रभाव गरीबों पर पड़ता है और उन्होंने कहा, "यह संसाधनों के उपयोग को प्रभावित करता है, बाजारों को विकृत करता है, सेवा वितरण को प्रभावित करता है और अंततः लोगों के जीवन की गुणवत्ता को कम करता है।" अर्थशास्त्र में कौटिल्य का जिक्र करते हुए, मोदी ने कहा कि राज्य के संसाधनों को बढ़ाना सरकार का कर्तव्य है। अपने लोगों के कल्याण को अधिकतम करें।
उन्होंने कहा, ''इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार से लड़ने की जरूरत है और कहा कि यह अपने लोगों के प्रति सरकार का पवित्र कर्तव्य है।'' उन्होंने आगे बताया कि कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी परियोजनाओं में लीकेज और कमियों को दूर किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री मंत्री जितेंद्र सिंह ने की अध्यक्षता
दरअसल, जी-20 भ्रष्टाचार निरोधी मंत्रिस्तरीय की अध्यक्षता केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने की। यह जी-20 की अब तक की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक होगी। इससे पहले भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत भ्रष्टाचार निरोधी वर्किंग ग्रुप (एसीडब्ल्यूजी) की तीसरी बैठक नौ से 11 अगस्त तक कोलकाता हुई। बैठक में जी-20 सदस्यों, 10 आमंत्रित देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 154 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।