
Amit Shah : योगी-केशव के बीच दिखी खास केमिस्ट्री !
Lucknow Desk : चुनाव से पहले कल कुछ खास देखने को मिला। इसके पहले लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिला था। लेकिन कल पहली बार रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक मंच पर एक साथ सार्वजनिक रूप से नजर आए । लखनऊ में रविवार को यूपी पुलिस भर्ती के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने आए अमित शाह ने सीएम योगी के कामों की तारीफ की, तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अपना ‘मित्र’ बताकर दोनों नेताओं के बीच बेहतर सियासी तालमेल का संदेश देने के साथ-साथ सूबे के जातीय समीकरण को भी साधने की कवायद करते नजर आए। बता दे की कल 60 हजार से अधिक चयनित युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इस समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं मंच से युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किए, जिससे प्रदेश की पुलिस को 60 हजार नए पुलिसकर्मी मिल गए। यह कार्यक्रम महज रोजगार देने का मंच नहीं था, बल्कि इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी सियासत के कुछ दिलचस्प संकेत भी देखने को मिले।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और योगी सरकार के कई अन्य मंत्री और बीजेपी नेता मंच पर मौजूद थे। सबसे पहले सीएम योगी ने सभा को संबोधित किया, जिसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने युवाओं को प्रेरणादायक संबोधन दिया। अपने भाषण की शुरुआत में अमित शाह ने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिया और उसके बाद जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का ज़िक्र किया, तो उन्होंने उन्हें "मेरे मित्र और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जी" कहकर संबोधित किया। इस एक पंक्ति ने यूपी की सियासी गलियारों में चर्चा को एक बार फिर गरमा दिया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चर्चा रही है कि सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के बीच सियासी तालमेल नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद कई कार्यक्रमों में दोनों नेताओं की बीच दूरियां भी देखी गई हैं। केशव प्रसाद मौर्य कई बार सवाल भी खड़े करते रहे हैं। ऐसे में अमित शाह का योगी सरकार की तारीफ के साथ-साथ केशव प्रसाद मौर्य को मित्र बताकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है कि दोनों नेताओं की अहमियत बराबर है।
अमित शाह ने सपा सरकार के दौरान पुलिस भर्ती में हुई धांधली पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव को घेरा। उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारों में भर्ती के लिए पर्ची भेजी जाती थी, जाति विशेष को तरजीह दी जाती थी, लेकिन मेरे सामने बैठे 60हजार अभ्यर्थियों को मैं हिम्मत के साथ कहता हूं कि किसी को एक पाई की रिश्वत नहीं देनी पड़ी. इन नियुक्तियों में न खर्ची, न पर्ची, न सिफारिश, न ही जाति के आधार पर कोई भेदभाव हुआ, बल्कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता के आधार पर संपन्न हुई। अमित शाह ने मंच से सीएम योगी के कामों की तारीफ करते हुए कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद कई योजनाएं बनीं, लेकिन यूपी में इन्हें धरातल पर 2017 के बाद योगी सरकार ने उतारा. यूपी केंद्र की हर स्कीम में आज नंबर वन है। शाह ने कहा कि आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही थी, लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस ने नई बुलंदियों को छूना शुरू किया। शाह ने जोर देकर कहा कि यूपी अब दंगों का गढ़ नहीं रहा, बल्कि दंगामुक्त हो चुका है और गुंडों का फरमान अब नहीं चलता। बीजेपी के लिए यूपी की सियासत में ओबीसी और सवर्ण दोनों ही वोटों की अहमियत है। केशव-सीएम योगी के बीच संतुलन बनाकर शाह ने अगड़े-पिछड़े के बीच संतुलन की रणनीति को साधने की कवायद की है, जो यूपी की जटिल जातीय राजनीति में अहम है। माना जाता है कि यूपी पंचायत चुनाव से पहले यह आयोजन बीजेपी के लिए युवाओं को रोजगार और पारदर्शिता के साथ सियासी समीकरण को संदेश देने का मंच साबित हुआ।