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Lucknow News : PMO का अधिकारी बनकर ठगी करने वाला गिरफ्तार , विभूतिखंड के एक होटल से हुए गिरफ़्तार

Lucknow Desk : राज्य से लेकर केंद्र सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों और पीएमओ कार्यालय का अधिकारी बनकर ठगी करने वाले संतोष सिंह को एसटीएफ़ ने गिरफ़्तार कर लिया है। जी हां ,संतोष सिंह खुद को बड़ा अधिकारी बताकर जनता और विभिन्न सरकारी विभागों में रौब गांठकर ठगी करता था। जानकारी के मुताबिक संतोष सिंह उर्फ अभिषेक सिंह वाराणसी का रहने वाला है। 

सीओ विमल कुमार सिंह के मुताबिक

आपको बता दें की  एसटीएफ सीओ विमल कुमार सिंह के मुताबिक, संतोष सिंह उर्फ अभिषेक सिंह को उसके ड्राइवर धर्मेंद्र कुमार यादव को विभूतिखंड में एक होटल के पास से गिरफ्तार किया गया। दोनों आरोपी कानपुर के बिठूर सिंहपुर में रह रहे थे। अभिषेक खुद को पीएमओ में तैनात अफसर बताता था। सरकारी काम कराने के एवज में रकम लेकर रफूचक्कर हो जाता था। कुछ ऐसी शिकायतें भी सामने आईं, जिसमें वह पीएमओ में तैनाती बताकर लोगों को दबाव में लेता था। ब्लैकमेल कर उगाही करता था। एसटीएफ की जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी का असल नाम संतोष सिंह है। लेकिन, वह अधिकतर लोगों को अपना नाम अभिषेक सिंह बताता था। इसी नाम से तमाम दस्तावेज भी उसने तैयार किए थे।

प्रेमिका की फीस भी भरता था 

संतोष अपने ड्राइवर व एक प्रेमिका के साथ रहता है। प्रेमिका मंधना स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसकी  है। पांच लाख रुपये एमके शाही को ठेकेदारी करने के लिए दिए। 22 लाख रुपये वाराणसी के डॉक्टर गुलाब चंद को व्यापार के लिए दिया है। खाते में 30 लाख रुपये मिले। जानकारी के मुताबिक, कई करोड़ रुपये आरोपी इसी तरह ठग चुका है।

दूसरों के नाम पर फाइनेंस कराईं कारें, लगा था पुलिस का लोगो

आपको बता दें कि पुलिस ने आरोपियों के पास से दो कारें बरामद की। एक कार आरोपी के परिचित मऊ निवासी एमके शाही और दूसरी कार वाराणसी के शशिकांत सिंह पर है। एसटीएफ का दावा है कि आरोपी ने बताया कि ये कारें उसने उगाही की रकम से दोस्तों के नाम पर फाइनेंस कराईं। दो आईफोन, डेबिट कार्ड आदि बरामद हुए हैं।

भाई को बना देता था शासन का अफसर

वहीं एसटीएफ के मुताबिक, इस खेल में उसका ममेरा भाई प्रदीप सिंह भी शामिल है। जिस किसी को वह जाल में फंसाता था तो वह विश्वास में लेने के लिए अपने भाई से फोन पर बात करवाता था। इसमें दावा करता था कि जिससे बात करवा रहा है कि वह संबंधित सरकारी विभाग के सचिव, प्रमुख सचिव या मंत्री का निजी सचिव या पीआरओ है। मोबाइल नंबर भी आईएएस, निजी सचिव आदि के नाम से सेव करता था। ट्रू कॉलर में भी इसी तरह के नाम लिखता था।


 


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