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MP : शासकीय महाविद्यालय पिपलौदा में विकसित भारत 2047 पर चर्चा का आयोजन

Lucknow Desk : विकसित भारत 2047 की परिकल्पना विषय पर शासकीय महाविद्यालय पिपलोदा में परिचर्चा का आयोजन किया गया, इस परिचर्चा में प्रभारी प्राचार्य ईगू सिंह चौहान ने राष्ट्र को विकसित व समृद्ध करने के लिए सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता से लागू किया जाए। भूगोल विभाग के प्रो. प्रकाश कुमार भालसे ने विकसित भारत के निर्माण में स्वच्छ पर्यावरण  को अनिवार्य बताते हुए प्रदूषण मुक्त भारत पर जोर दिया।

हिंदी विभाग की डॉ ऋचा पचौरी सेंगवार  ने परिचर्चा को आगे बढ़ते हुए कहा कि एक विकसित राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए बौद्धिक समृद्धि एवं नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अच्छे साहित्य को प्रोत्साहन दिया जाए, साथ ही उन्होंने कहा कि चूंकि कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है तो उसे सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की जाए ताकि कृषि व्यवसाय से जुड़े विद्यार्थी कृषि से जुड़ी अपनी प्रतिभा को निखारे और आत्मनिर्भर बने।

इसके साथ ही इतिहास विभाग के डॉक्टर सच्चिदानंद चौरसिया ने विकसित भारत 2047 के लिए अपने विचार रखते हुए पुरातात्विक- ऐतिहासिक स्थलों एवं संबंधित सामग्रियों के संरक्षण एवं प्रबंधन कर इन्हें अधिक से अधिक सहेजा जाए। परिचर्चा को आगे बढ़ते हुए अंग्रेजी विभाग की डॉक्टर सरिता सोनी द्वारा विकसित राष्ट्र के लिए ऊर्जा के परंपरागत साधनों के स्थान पर ऊर्जा के गैर परंपरागत साधना जैसे, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने एवं उसके प्रयोग को बढ़ाने के लिए सब्सिडी की भी व्यवस्था हो।

शासकीय महाविद्यालय पिपलोदा के क्रीड़ा अधिकारी श्री मयंक पटेल ने  "विकसित भारत 2047" अपने विचार रखते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए "खेलो इंडिया" जैसी खेल से जुड़ी अन्य योजनाएं लाई जाएं। ग्रंथालय विभाग की डॉ श्वेता जोशी ने  कहा कि पुस्तकालय को संदर्भ ग्रंथ (जो की दुर्लभ है) उनका डिजिटलीकरण करके सुरक्षित किया जाए ताकि जो संदर्भ ग्रंथ से दूर है उन तक पहुंच बन सके।

परिचर्चा में शामिल हुए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने विकसित भारत के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने पर जोर दिया ताकि भारत कोरोना जैसी महामारी से सहज लड़ सके। प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने विकसित भारत 2047 के लिए अपने विचार रखते हुए कहा कि पढ़ाई को और ज्यादा व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाने के लिए महाविद्यालय में प्रशिक्षण सुविधा को भी लागू किया जाए ताकि प्रोजेक्ट से जुड़े प्रशिक्षण से विद्यार्थी स्वयं का व्यवसाय खोलकर आत्मनिर्भर बन सके। परिचर्चा का संचालन व आभार क्रीड़ा अधिकारी श्री मयंक पटेल द्वारा किया गया।


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