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बिहार चुनाव का बहिष्कार कर सकता है विपक्ष!

बिहार चुनाव के बहिष्कार से डरा NDA!, Tejashwi Yadav ने क्यों बोला ऐसा?

Lucknow Desk: बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए RJD नेता Tejashwi Yadav ने एक बयान देकर प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन की लड़ाई पटना से दिल्ली पहुंच गई है। आज संसद में INDIA ब्लॉक में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। Tejashwi Yadav ने पहले ही कहा है कि अगर वोटर लिस्ट रिवीजन जैसी धांधली होती रहेगी तो हो सकता है कि RJD विधानसभा चुनाव का बॉयकॉट करें। हो सकता है कि पार्टी विधानसभा चुनाव ही न लड़े।

बता दें, Tejashwi Yadav का विधानसभा चुनाव को बहिष्कार का बयान शुद्ध रुप से एक रणनीतिक कदम है। यह केवल मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर जनता को सरकार के खिलाफ एकजुट करना है। अगर विपक्ष इसे सीरियस लेती है तो चुनाव से पहले इसका ऐलान किया जा सकता है।  इस ऐलान से हार भी साफ दिखाई दे रही है। क्योंकि अगर मैदान में जीत दिखाई देती तो दल इसे छोड़ने की बात ही नहीं करता।

वोटर लिस्ट पुनरीक्षण करके महागठबंधन को कमजोर करने की कोशिश

दरअसल, वोटर लिस्ट पुनरीक्षण होने से महागठबंधन के कमजोर होने की आशंका तेज हो गई है। Tejashwi Yadav यूं ही नहीं मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाते। वो कहते हैं कि सरकार वोटर चुन रही है। बता दें, बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के तहत 53 लाख वोट कैंसल कर दिया गया हैं उनमें 90 प्रतिशत ऐसे वोटर्स हैं जिन्हें सीधे सीधे महागठबंन का वोट कहा जा सकता है। इसके ठीक विपरीत बिहार में एनडीए की स्थित लगातार मजबूत हो रही है। वहीं नीतीश कुमार की विकास-केंद्रित छवि और 35% महिला आरक्षण जैसे कदमों ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया है। बीजेपी ने तेजस्वी को क्रेडिट चोर कहकर उनके दावों को कमजोर करने की कोशिश की है।

चुनाव बहिष्कार से सत्ता पक्ष परेशानी

बरहाल, Tejashwi Yadav का यह बयान एक राजनीतिक रणनीति ही है। जिसका एक मात्र लक्ष्य एनडीए सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठाकर विपक्षी गठबंधन को एकजुट करना है। इसके साथ ही अपने कोर वोट बैंक यादव, मुस्लिम, और ओबीसी समुदाय को अपने पक्ष में करना है।

अगर विपक्ष चुनाव का बहिष्कार करता है तो हमेशा से सत्ता पक्ष के सामने परेशानी खड़ी होती रही है। क्योंकि Tejashwi Yadav अगर अपने फैसले पर अडिग रहते हैं और उन्हें उनके सहयोगी दलों का भी इस मुद्दे पर सपोर्ट मिलता है तो एनडीए असहज हो सकता है। एनडीए नेताओं को पहले से ही लग रहा है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर पहले ही जनता नाराज हो रही है।

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