Manipur

मणिपुर में फिर बढ़ा बवाल, महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया, वीडियो वायरल के बाद सरकार ने लिया फैसला

मणिपुर: मणिपुर इन दिनों जातीय हिंसा की चपेट में है। लेकिन अब एक विडियो को लेकर मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में तनाव फैल गया है। जिसमें दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, यह वीडियो इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के गुरुवार को होने वाले प्रदर्शन से ठीक एक दिन पहले वायरल किया गया है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो इसलिए वायरल किया गया है ताकि उस समुदाय की दुर्दशा को उजागार किया जा सके। फिलहाल पुलिस ने मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी।

ये घटना 4 जुलाई की है

जानकारी के अनुसार, ITLF संगठन के बयान के अनुसार, यह घटना 4 मई को हुई थी। बता दे कि वायरल वीडियो में दो महिलाओं को भीड़ के सामने निर्वस्त्र करके घुमाते हुए देखा गया है। इसके बाद सामूहिक दुष्कर्म के लिए धान के खेत में ले जाया गया। ITLF ने कहा कि कुछ पुरुषों को असहाय महिलाओं के साथ दुराचार करता देखा गया। महिला रो रही थी और छोड़ने की गुहार लगा रही थी। लेकिन आरोपियों का दिल नहीं पसीजा।

दर्ज किया गया मामला

यह वीडियो सोशल पर वायरल होने के बाद से पूरे इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल यह मामला दर्ज किया जा चुका है। इस वीडियो पर पुलिस अधीक्षक के मेघचंद्र सिंह ने एक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 4 मई 2023 को अज्ञात बदमाशों द्वारा 2 महिलाओं को नग्न करके घुमाए जाने के वीडियो के संबंध में, अज्ञात सशस्त्र बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक सेकमाई पीएस (थौबल जिला) में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया था। जांच शुरू हो गई है और राज्य पुलिस दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

वायरल वीडियो पर सरकार का एक्शन

सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आदेश जारी कर दो मणिपुर की महिलाओं को नग्न घुमाने के वायरल वीडियो को शेयर न करने का निर्देश दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारतीय कानूनों का पालन करना अनिवार्य है क्योंकि मामले की अभी जांच चल रही है।

मणिपुर में कब भड़की हिंसा

पिछले दो महीनों से मणिपुर में विभिन्न समुदायों के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं, जिसमें कम से कम 100 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बुधवार को चेतावनी दी कि संघर्षग्रस्त राज्य में छह लाख से अधिक गोलियां और लगभग 3,000 हथियार अभी भी युद्धरत समुदायों के पास हैं। विशेषज्ञों ने राज्य में प्रतिबंधित आतंकी समूहों के फिर से उभरने की संभावना के बारे में भी चेतावनी दी है।

मणिपुर में कैसे शुरू हुआ विवाद?

दरअसल, पिछले करीब दो महीनें से मणिपुर में जातीय हिंसा हो रही है। बता दे कि मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ये दोनों एसटी में आते हैं। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। विवाद इसी को लेकर शुरू हुआ। 3 मई से राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा की घटनाएं हुईं।


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