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मणिपुर के चुराचंदपुर और बिष्णुपुर जिले में भड़की हिंसा, गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा इलाका

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार यानी 27 जुलाई को मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी। ये हिंसा दो समुदायों के हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हुई है। मिली जानकारी के अनुसार, ये घटनाएं चुराचंदपुर और बिष्णुपुर जिले की सीमाओं के पास अलग-अलग जगहों पर हुईं है। इनमें 4 लोग घायल हुए हैं।

एक बार फिर भड़की हिंसा

मणिपुर पुलिस ने बताया कि अभी तक पीड़ितों की पहचान नहीं हुई है। पुलिस ने बताया कि 27 जुलाई की देर रात तक गोलीबारी की आवाजे़ं आती रहीं। जानकारी के अनुसार, आदिवासी संगठन इंडिजिनयस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने दावा किया है कि इन घटनाओं में एक 30 साल के व्यक्ति की मौत हुई है। वहीं 3 लोग घायल हैं। उन्होंने बताया कि सभी 4 लोग गांव के स्वयंसेवक थे। ITLF ने आगे बताया, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चारों घायलों को इंफाल के राज मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 27 जुलाई की सुबह करीब 4 बजे से हथियारबंद लोगों ने कांगवई, क्वाक्टा, फुगाकचाओ इखाई और तेराखोंगशांगबी इलाकों के अलग-अलग गांवों में घुसने की कोशिश की है। इसके बाद गोलीबारी शुरू की है।

26 जुलाई को भी तनाव की स्थिति

अधिकारियों ने बताया कि 26 जुलाई की शाम से ही कांगवई इलाके में तनाव पैदा हो गया था। कुछ हथियारबंद लोगों ने मोर्टार शेल दागे थे, जिसमें एक युवक के घायल होने की खबर सामने आई थी। इसके बाद से ही यहां तनाव की स्थिति थी। बता दे कि गांव में पुलिस और सुरक्षाबल मौके पर मौजूद हैं। 26 जुलाई को मोरे शहर में हथियारबंद लोगों की भीड़ ने 15-16 बंद पड़े घरों में तोड़फोड़ की थी। भीड़ ने इन घरों में आग लगा दी थी। इसके बाद सुरक्षा बलों और इनके बीच गोलीबारी हुई। इस घटना के एक दिन बाद फिर से हिंसा भड़क गई।

मणिपुर में हिंसा जारी

बता दें कि अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मैइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मैइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और CBI इसकी जांच पड़ताल में जुट गई है।


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