जाग उठा Vikram और Pragyan, अब चारों तरफ भारत की होगी जय जयकार
Lucknow Desk: भारत ने कुछ ऐसा कर दिखाया जो अब तक बडे बड़े ताकतवर देश नहीं कर पाए है। वहीं अब लोगों के मन में जिज्ञासा उठाने लगी है क्या वाकई में चंद्रयान 3 अधेरी रात को चीरते हुए एक बार फिर से जाग उठा है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि इसरों के वैज्ञानिकों ने 2 और 4 सितंबर को प्रज्ञान और विक्रम को नींद की आगोश में सुला दिया था। जानकारी के अनुसार, वैज्ञानिकों का दावा था कि 22 सितबंर को विक्रम और प्रज्ञान जागेंगे और वहीं हुआ। अब दोनों नींद से जागने के बाद चांद पर एक बार फिर से रिसर्च करेंगें।
बता दें कि वैज्ञानिकों ने इन दोनों को कुछ इस तरह से पार्क किया था अगर चांद पर दिन हो तो सबसे पहले सूरज की किरण रोवर और विक्रम के सोलर पैनल पर पड़े। जिससे दोनों चार्ज हो सके और दोबारा से रिसर्च कर सके। बताया जा रहा है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 4 सितंबर को रात होना शुरु हो गई थी। आप सभी को पता होगा कि चांद पर पृथ्वी के 14 दिन के बराबर के दिन एक रात होती है। चांद पर इतने लंबे समय तक रात होने की वजह से वहां का तापमान तेजी से घट जाता है।
जानकारी के अनुसार, चांद पर रात के समय का तापमान लगभग 250 डिग्री हो जाता है और माइनेस 250 डिग्री की ठंठ में कोई भी इलेक्ट्रिकल मशीन काम नहीं कर सकती है। यहीं वजह थी इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम और प्रज्ञान को स्लिप मोड में डाल दिया था। चांद पर ठंठ से बचने के लिए विक्रम और प्रज्ञान को तमाम इंसुलेटर पदार्थ से डंगा गया था। जिससे कि वहां पर पड़ रही ठंड से इनके ऊपर ज्यादा असर न पड़े और वह दोनों सुरक्षित रहे। ताकी जब दोबार से चांद पर सुबह हो तो ये दोनों काम कर सके। विक्रम और प्रज्ञान दोनों की बैटरी को दोबारा से चार्ज होने के लिए तीन दिन का समय चाहिए।
अब आपको मन में सवाल उठ रहा होगा कि 22 सितंबर को चांद पर दिन हुआ है तो 25 तारीख तक इन दोनों की चार्जिंग फुल हो जाएगी। उसके बाद ही ये दोनों नींद के काली रात को चीरकर जागेंगे लेकिन बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि 19 सिंतबर को ही चांद पर दिन हो चुका था। अब तक इनकी बैटरी फुल चार्ज हो चुकी है। अब बारी आती है वैज्ञानिकों इनके पास रेडियों सिंगनल भेजने की।