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Bengaluru Stampede: चिन्नास्वामी में भगदड़ की जिम्मेदार सरकार? RCB मैनेजमेंट की भी बड़ी गलती!

Lucknow Desk: 11 जानें 33 घायल कौन है इस हादसे का जिम्मेदार? क्या ये गलती कर्नाटक की राज्य सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कि है? या फिर ये पूरी गलती आरसीबी के सो कोल्ड मैनजमेंट की है जो शायद 18 साल की जीत के जश्न में कुछ ज्यादा ही डूब गए और उन्हें समझ ही नहीं आया कि कब क्या   करना चाहिए और क्या नहीं?  और या फिर उन खिलाड़ियो कि जो मैदान के अंदर जीत का जश्न मना रहे थे और बाहर लोग तड़प रहे थे।

आखिर पूरा मामला था क्या और कैसे एक 18 साल कास जश्न चंद मिनटों में मातम में बदल गया?

तो देखिए सबसे पहला जो यहां पर सवाल खड़ा हो रहा है वो कर्नाटक सरकार और और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर खड़ा हो रहा है और जाहिर सी बात है कि अगर आप राज्य के मुख्यमंत्री हैं और ऐसी घटना हुई है तो सवाल तो खड़े होने बनते भी हैं। और यही कारण है कि आप ये ट्वीट देख सकते हैं जो लगातार एक्स यूजर कर रहे हैं।

क्या बोले लोग?

जहां पर अभय प्रताप सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा कि महाकुंभ में शामिल 45 दिनों तक प्रतिदिन करोड़ों की भीड़ मैनेज करने वाले योगी को कांग्रेस लेक्चर देती थी वही कांग्रेस बेंगलुरु में एक दिन हजारों की भीड़ को मैनेज नहीं कर पाई और भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई।

तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा कि धन्यावाद महाराष्ट्र सीएम, धन्यावाद मंबई पुलिस जिन्होंने 10 गुना अधिक भीड़ को टी20 वर्ल्डकप में आसनी से अच्छी प्लैनिंग के साथ मैनेज कर लिया था।

तो देखिए हमारे बताने से पहले ही यहां लोगों मे सवाल खड़े करने शुरु कर दिए हैं कि व्यावस्था बिल्कुल सही नहीं थी और अगर ऐसा कोई हादसा हुआ है तो सच में सवालिया निशान लगना बनता है।

पहले भी हो चुके हैं आयोजन

पिछले साल ही आपके सामने टी20 वर्ल्डकप का बड़ा एक्जामपल है। जहां पर सब कुछ सही ढंग से हुआ था और इससे कई ज्यादा लोगों की भीड़ थी। और यही नहीं इसके अलावा पहले कई बार चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स की टीमें इस तरह की परेड निकाल चुकी हैं जहां पर सभी चीजें शानदार तरह से हुईं पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री का बड़ा बयान!

इन सभी मामलों सबसे बड़ी बात ये है कि अपनी गलती को छुपाते हुए मुख्यमत्री सिद्धारमैया ने बड़ा भद्दा सा बयान दिया है इस पूरे मामले पर उन्होंने कहा ऐसे हादसे होते रहते हैं। उन्होने कहा कि हमने भीड़ का आंकलन किया था, लेकिन इतनी ज्यादा भीड़ की उम्मीद नहीं थी। भगदड़ कोई पहली बार नहीं हुई है। महाकुंभ जैसे आयोजनों में भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं। 

आपको बता दें कि भले ही सीएम ने कहा हो कि इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी पर हम सभी को पता है कि जब टीम 18 साल बाद पहली बार ट्रॉफी जीतकर आ रही है तो कैसी भीड़ की उम्मीद की जा सकती थी।

आरसीबी मैनेजमेंट भी पूरी जिम्मेदार?

खैर आगे बढ़ें तो बता दें कि ये सिर्फ सरकार की गलती भी नहीं है यहां पर अगर मीडिया रिपोर्टस कि मानें तो हिस्सेदारी आरसीबी मैनेजमेंट कि भी है। जी हां दरअसल कई मीडिया रिपोर्टस और एक सीनियर स्पोर्टस जर्नलिस्ट ने साफ तौर पर ये दावा किया है कि जब आरसीबी जीती उसके बाद सुबह कर्नाटक पुलिस ने विक्ट्री परेड को मना कर दिया था उन्होंने साफ कह दिया था कि हम एकदम से ये नहीं संभाल पाएंगे। पर फिर भी आरसीबी मैनेजमेंट ने जीत की खुशी में उनकी एक नहीं सुनी और परेड करने की जिद्द की और उसके बाद क्या हुआ हम सबने देखा। जिसकी जिम्मेदारी कोई लेने को नहीं तैयार है।

क्या खिलाड़ियों की भी गलती?         

तो इसके बाद आगे बढ़ते हुए आपको बताते चलें कि बहुत से लोग खिलाड़ियो पर भी सवाल उठा रहें हैं कि उनकी गलती थी। जहां पर बाहर हादसा हो रहा था और अंदर जश्न चल रहा था। तो सिर्फ हम इतना ही कहंगे कि देखिए हादसे से तो खिलाड़ियों का तो कोई मतलब ही नहीं था और जहां तक बात रही जश्न कि तो देखिए अगर उन्हें पता था कि बाहर क्या हो रहा है इसके बाद बी वो उसमें डटे रहे तो हां जरूर उनपर भी सवाल खड़े किए जा सकते हैं। पर आपको बता दें कि बहुत बार ऐसे मौके पर जहां सारी चीजें एक के बाद एक हो रही हैं वहां पर बहुत खिलाड़ी कम ही सोशल मीडिया का उपयोग उस बीच करते नजर आते हैं। हालांकि ये जरूर है कि अंदर जो उन खिलाड़ियो को मैनेज कर रहे थे उन्हें शायद जरूर ये बात पता चल गई होगी। पर क्या उन्होंने खिलाड़ियों को वो बताया या फिर नहीं? ये अपने आप में बड़ा सवाल है। खैर ये तो हो गई गलती कि बात अब अगर ये देखें कि इसे कैसे टाला जा सकता था तो देखिए सबसे बेहतर विकल्प ये था कि ठीक है टीम जीत गई है जश्न करना चाह रहे हैं आप तो उस समय आप खिलाड़ियों को एक दो दिनो का आराम दे दें और पुलिस को उन एक दो दिनों में तैयारियां कर लेने दें जो कि हमेशा से होता आया है। टीम इण्डिया ने जब 29 जून को टी20 वर्ल्डकप जीता तो इसके बाद आराम से 5 से 6 दिनों बाद वो परेड 4 जुलाई को निकाली गई जिसमें इससे भी कई गुना ज्यादा लोग थे। पर सब सही से हुआ पर यहां पर जल्दबाजी में सभी चीजों को कराने के प्रयास में ये बड़ा हादसा देखने को मिल गया।


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