
Diwali 2023 : यहां दीवाली पर मनाते हैं शोक दिवस, ये है वजह
Lucknow Desk: देशभर में दिवाली हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दिवाली पर हर ओर उत्साह और उमंग का माहौल रहता है लेकिन एक ऐसी जगह है जहां रोशनी के इस पर्व को शोक दिवस के रुप में मनाया जाता है। बता दे कि भारत के उत्तराखंड से लेकर बिहार तक के तराई इलाकों में थारू जनजाति के लोग रहते हैं। ये भारत के साथ-साथ नेपाल में भी रहते हैं। जानकारी के अनुसार, नेपाल में जहां इनकी जनसंख्या 15 लाख के करीब है वहीं भारत में 1,70,000 से ज्यादा थारू जनजाति के लोग रहते हैं। माना जाता है कि इस जनजाति का नाम राजस्थान के थार रेगिस्तान के नाम पर पड़ा है क्योंकि इस जनजाति के वंशज राजस्थान के राजपूत माने जाते थे। ये भारत की प्रमुख जनजातियों में से एक है और इनकी कई अनोखी और विचित्र मान्यताएं हैं।
दिवाली नहीं मनाती ये जनजाति
बता दे कि जनजाति से जुड़ी सबसे हैरान करने वाली मान्यता है दिवाली के दिन शोक मनाया जाता है। जब पूरी दुनिया दिवाली के दिन खुशियां मनाती है तब ये जनजाति शोक में डूबी रहती है। मगर इसके पीछे जो कारण है वो भी काफी हैरान करने वाला है। इस जनजाति के लोग दिवाली नहीं मनाते बल्कि वो इसे दिवारी कहते हैं। इस दिन वो अपने पूर्वजों को याद करते हैं।
विचित्र परंपरा क्यों?
दरअसल, थारू जनजाति के लोग दिवाली के दिन अपने परिवार के गुजर चुके लोगों को याद करते हैं जो दिवाली के दिन या उसके आसपास दुनिया छोड़ गए थे। इस दिन वो अपने स्वर्गवासी परिवार वालों के लिए एक पुतला तैयार करते हैं और दिवारी के दिन उसे जलाते हैं। पुतला जलाने के बाद वो अपने सभी घर वालों को भोज पर घर बुलाते हैं।
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