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UP News: कथन पर सिर्फ पंडितों का अधिकार! राजभर के बयान से गर्माई राजनीति

निर्मल मन जन सो मोंहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र ना भावा। पोथी पढ़-पढ़ जग मुवा पण्डित भया ना कोय़, ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े सो पण्डित होय। 

ये दो चौपाईंया जो मैंने आपको सुनाई इनमें से एक अर्थ है कि भगवान कहते हैं जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल-छिद्र नहीं सुहाते। जो कि राम चरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखी है। वहीं दूसरी चौपाई का अर्थ है कि सिर्फ पोथी और पत्रा पढ़कर इस संसार में कोई पंण्डित नहीं हो सकता है, जिसके मन में प्रेम और स्नेह है वही पण्डित है। पर शायद आज जातियों में बढ़कर लोग और यहां तक राजनेता भी इन चौपाईयों को भूल चुके हैं।और शायद इसीलिए इटावा में दो यादव कथावाचक जब कथा कहने जाते हैं और जैसे ही गांव-परिवार वालों को ये पता लगता है कि वो यादव हैं। तो उन्हें कथा कहने के लिए मना नहीं किया जाता है। बल्कि उनकी चोटी काटकर उन्हें अपमानित किया जाता है उनका सर मुण्डवा दिया जाता है साथ और भी कई तरह से उन्हें अपमानित किया जाता है। हालांकि इसके बाद उस कथा में मौजूद रेनू तिवारी नाम की एक महिला ने इन कथावाचकों पर छेड़खानी का आरोप भी लगाया था। और साथ ही उन कथावचकों के पास 2-2 आधार कार्ड भी मिले थे। जिसमें एक में उनका सरनेम यादव जबकि एक में अग्निहोत्री था। हालांकि अगर ऐसा था भी तो क्या किसी का इस तरह का अपमान करना सही था? तो जवाब होगा शायद नहीं। लेकिन बात ये थी कि अपमान तो हो चुका था और एक यादव के साथ हुआ था तो राजनीति होनी तो थी उत्तर प्रदेश में यही हुआ भी इसके बाद अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए और साथ ही उन कथावाचकों को सम्मानित भी किया। वहीं इसके साथ ही जातियों के बीच भी लड़ाई शुरु होने लगी बहुत से वीडियो सोशल मीडीया पर वायरल हुए जहां पर यादव जाति के लोगों ने कहा कि इस गांवो में ब्राहम्णों से पूजा कराना मना है। साथ ही कुछ जगह तो लोगों ने बोर्डों पर लिख भी ये तक लिख दिया कि ब्राह्मणों से पूजा कराए जाने पर पकड़े गए तो 200 रुपए और 500 रुपए जुर्माना। और इसी तरह से ये मामला लगातार चल रहा था पर अब कल सुभाषपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के द्वारा इस मामले पर दिए गए बयान के बाद ऐसा लग रहा है कि ये मामला उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।

क्या बोले ओपी राजभर?

हर समाज और जाति के बीच काम को लेकर एक तय व्यवस्था है, जिसका पालन जरूरी है ब्राह्मण समाज का काम विवाह, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान कराना है. अगर यादव समुदाय ये कार्य करते हैं तो यह दूसरों के अधिकार में दखल देना हुआ. कुछ लोग फर्जी तरीके से दो-दो आधार कार्ड बनवाकर दूसरे वर्ग के अधिकारों पर कब्जा कर रहे हैं.  यादवों को केवल अपने पारंपरिक काम तक ही सीमित रहना चाहिए, तभी समाज में संतुलन और व्यवस्था बनी रह सकती है. यादवों का काम भैंस चराना और दूध बेंचना है तो उन्हें वही करना चाहिए।

लोगों ने दी प्रतिक्रिया

इस बयान के बाद सोशल मीडीया पर लोग लगातार इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं जहां पर सुधीर यादव नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा कि 

यादव ने कभी किसी को भैंस पालने या दूध दुहने मना नहीं किया! मौर्या, बनिया, बढ़इ कभी किसी को कोई काम करने से मना नहीं किया!फिर ब्राह्मण क्यों पूजा करवाने से और जातियों को मना कर रहा हैं जरा सोचिये और बताइये राजभर जी, आप तो मनु की भाषा बोल रहे हैं आपसे ये उम्मीद नहीं थी।

तो  वहीं एक अभिषेक कुमार नाम के एक दूसरे यूजर ने लिखा कि 
तो फिर ओम प्रकाश राजभर जाकर दाना भूजने का काम करे..1 किलो चावल पर 50 ग्राम चावल मजदूरी इसकी रहेगी।
बीजेपी में जाने के बाद सड़ियल हो जाता है गठबंधन दलों का भी

वहीं आरके पण्डित नाम के यूजर ने बयान पर कहा कि यादवों ने पूरे ओबीसी का आरक्षण डकार रहे हैं लेकिन इस पर कोई सवाल जवाब नहीं करता, दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार यही लोग करते हैं। -और इसी प्रकार से लगातार लोग इस मामले पर सवाल उठा रहे हैं और ओपी राजभर के इस बयान पर कटाक्ष कर रहे हैं। हालांकि अभी आधिकारिक तौर इस बयान पर विपक्ष का कोई बयान नहीं आया है। तो ऐसे में देखना होगा कि अगर आगे विपक्ष से इस पर कोई प्रतिक्रिया आती है तो ऐसे में ओपी राजभर का पलटवार क्या होगा।


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