
Nishikant Dubey की बढ़ी मुश्किलें, Tejashwi Yadav ने कहा- सुप्रीम कोर्ट पर ऐसी टिप्पणी...
Lucknow Desk: बीजेपी सांसद Nishikant Dubey अपने दिए बयान की वजह से मुश्किलों में फंसते दिखाई दे रहे हैं। विपक्षी दल लगातार सांसद पर हमला बोल रहे हैं। वहीं बीजेपी ने पहले ही इनके बयान को दरकिनार कर दिया है। इसके साथ ही वक्फ अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमण को लेटर लिखकर निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।
Tejashwi Yadav ने क्या कहा?
इसी कड़ी में बिहार में इंडिया गठबंधन के समन्वय समिति के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता Tejashwi Yadav ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर ऐसी टिप्पणी करना ठीक नहीं। अगर कोई व्यक्ति इस तरह की टिप्पणियां करता है, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।
Nishikant Dubey के बयान से राजनीतिक में हलचल
दरअसल, बीजेपी सांसद Nishikant Dubey ने सुप्रीम कोर्ट पर एक बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर संसद के कानून बनाने की शक्ति को कमजोर करने और अपनी संवैधानिक सीमा से बाहर जाने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही, उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार है और अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का यह बयान Congress समेत विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं के निशाने पर आ गया है। जिसके बाद से लगातार सभी दलों के नेता और सांसद अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
"संसद इस देश का कानून बनाती है": बीजेपी सांसद Nishikant Dubey
बीजेपी सांसद बीजेपी सांसद Nishikant Dubey ने आगे कहा था कि अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए। आप अपॉइंटिंग अथॉरिटी को निर्देश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करते हैं। संसद ही इस देश का कानून बनाती है। आपने नया कानून कैसे बनाया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला करना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर Nishikant Dubey का बयान
बता दें कि इस बयान से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम निर्देश जारी किए थे, जिनमें 8 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु बनाम राज्यपाल मामले में राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया था। दूसरा, 15 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर अंतरिम आदेश जारी किया था। इन फैसलों ने संसद की शक्ति और सुप्रीम कोर्ट की सीमा के बीच विवाद को और बढ़ा दिया। जिसके बाद से संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तनातनी देखने को मिल रहा है।
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