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Diwali 2023

Diwali 2023: क्या आप जानते है दिवाली पांच दिनों तक क्यों?, जानिए तिथि और इन सभी दिनों का महत्व

Lucknow Desk: दिवाली खुशियों का त्यौहार है। जो पूरे 5 दिनों तक चलता है। जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है और भाई दूज के दिन समाप्त होती है। मान्यता के अनुसार, भारतीय काल गणना सतयुग से शुरू होती है। इस युग में पहली बार दिवाली पर्व मनाया गया था। इसके बाद आए त्रेता और द्वापर युग में राम और कृष्ण के साथ इसमें नई घटनाएं जुड़ती गईं। जिसके बाद ये पांच दिन का पर्व बन गया।

बता दे कि इस वक्त पूरे देश में दिवाली की धूम है। दिवाली का खुशियां मनाने और बांटने का त्योहार है। 5 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में हर दिन का अलग महत्व और मान्यता हैं। यह पांच दिन का महापर्व लक्ष्मी जी, भगवान राम और कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित होता है।

जानते है पांच दिनों का महत्व ?

गौरतलब है कि पांच दिनों के इस महापर्व में दिवाली सबसे खास होती है। क्योंकि इस पंचदिवसीय पर्व में हर दिन अलग अलग देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। धनतेरस के दिन से ही खरीदारी शुरू हो जाती हैं और यम द्वितीया पर ये पर्व समाप्त होता है। इन पूरे पांच दिनों तक सभी ओर भक्ति और खुशी का मौहाल बना रहता है। और कई दिन पहले से ही इसकी तैयारियां भी शुरू हो जाती है। इसी क्रम में जानते है धनतेरस से लेकर भाई दूज तक पांच दिनों के पर्व की तिथि और इन सभी दिनों का क्या महत्व है।

धनतेरस पर्व क्या है?

बता दे कि सबसे पहले सतयुग में कार्तिक माह के कृष्ण की पक्ष की त्रियोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। तब से ही धनतेरस का पर्व शुरू हुआ। धनतेरस पर अमृत पात्र को याद कर नए बर्तन और नई चीजें घर पर लाने की परंपरा है। इस दिन दीप दान करती करने की भी मान्यता है, जिससे यमराज प्रसन्न होकर अपनी कृपा बनाएं रखें। इस साल यह पर्व कल यानी 10 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है।

नरक चतुर्दशी पर क्या होता है?

धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी पड़ता है। द्वापर यगु में इसी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। तब से ही नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। नरक चर्तुदशी के दिन पांच या सात दीये जलाने की भी परंपरा है। इस बार यह पर्व 11 नवंबर यानी शनिवार को मनाया जाएगा।

दिवाली क्यों है खास

इस पांच दिनों के त्यौहार में सबसे खास दिवाली पर्व है। सतयुग में सबसे पहले कार्तिक मास की अमावस पर लक्ष्मी जी समुद्र मंथन से प्रकट हुए थीं। पौराणिक कहानी है कि इसी दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की शादी हुई थी। तब से ही दिवाली मनाने की परंपरा शुरु हुई। बाद में त्रेतायुग में इसी दिन राम वनवास से घर लौटे थे। यह दिन महालक्ष्मी पूजन के लिए विशेष होता है। इस साल दिवाली का पर्व 12 नवंबर 2023 के दिन मनाया जाएगा।

गोवर्धन पूजा क्यों होता है?

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में दिवाली के अगले दिन प्रतिपदा पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती थी। तब से ही यह दिन पांच दिन के इस महापर्व का हिस्सा बना। इस दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और दूध, दही, घी का भोग भगवान को लगाया जाता है। साथ ही विकास और वृद्धि के लिए दीप जलाए जाते हैं। इस साल यह पर्व 13 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा।

भाई दूज का पर्व क्यों है खास?

कथा के अनुसार, द्वापर युग में इसी दिन कृष्ण नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। जबकि सतयुग में इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर उसके आमंत्रण पर गए थे और यमुना जी उनका तिलक लगाकर आदर सत्कार किया था। तब से ही यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के प्रेम सूत्र को मजबूत करने का दिन होता है। इस साल भाई दूज 14 नवंबर के दिन मनाया जाएगा। पांच दिनों का सबसे खास होता है। जो हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है।

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