
Bihar domicile : नीतीश का बड़ा चुनावी दांव, डोमिसाइल का मुद्दा नया नहीं !
Lucknow Desk : बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा का चुनाव होना है। लेकिन उससे पहले बिहार में SIR का मुद्दा गर्माता दिख रहा है एक तरफ जहां rjd, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकलुभावन कदम उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सरकारी शिक्षकों की भर्ती में 'डोमिसाइल नीति' की घोषणा कर बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। इससे पहले भी नीतीश ने कई ऐलान किये हैं लेकिन नीतीश के इस दांव का काट विपक्ष के लिए खोजना मुश्किल होगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने अपने ऐलान में यह स्पष्ट नहीं किया कि राज्य में जन्मे और पले-बढ़े लोगों के लिए कितने प्रतिशत भर्तियां आरक्षित होंगी। नीतीश कुमार ने X पर एक पोस्ट में कहा, "शिक्षा विभाग को शिक्षकों की भर्ती में बिहार के निवासियों (निवासी) को प्राथमिकता देने के लिए संबंधित नियमों में आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया गया है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को साधने के लिए ये बड़ा चुनावी दांव चला है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि TRE 4 और 5 में अब डोमिसाइल नियम लागू किया जाएगा।यानी अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही इस परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि राज्य के युवा काफी समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत थे और अब सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है। बिहार में डोमिसाइल नीति की घोषणा पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा जहां तक डोमिसाइल की बात है, हमने इस बात को पहले ही कहा था कि जब हमारी सरकार आएगी, तो हम इसे लागू करेंगे। यह सरकार वही कर रही है जो तेजस्वी कह रहा है। आने वाले दिनों में आप देखना कि वे 'माई बहन मान' योजना की भी कॉपी करेंगे। उनके पास अपना कोई विजन या रोडमैप नहीं है।
लोकतंत्र की जीत : प्रशांत किशोर
नीतीश के इस फैसले पर प्रशांत किशोर ने कहा यह लोकतंत्र की जीत है, जनता की जीत है। उन्होंने सीएम नीतीश पर करारा हमला बोला और कहा, 20 साल में इन्होंने कुछ नहीं किया, डोमिसाइल के लिए छात्र संघर्ष कर रहे थे। जब इन्होंने देख लिया है कि जनता ने उन्हें हटाने का मन बना लिया है, तो अब डोमिसाइल नीति लागू कर रहे हैं। अब बिहार में डोमिसाइल लागू करने से जनता भ्रम में आने वाली नहीं है। वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश ने राज्यहित में डोमिसाइल नीति लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। हमने तो ये बड़ा फैसला बिहार के युवाओं के हित में लिया है लेकिन अब विपक्ष, खास कर राजद यह नजीर पेश करे कि हरियाणा से लाकर आप राज्यसभा में लोगों को नामित नहीं करेंगे, ये लोग बिहार के कार्यकर्ताओं की हाकमरी करते हैं। ऐसा करना कब बंद करेंगे।
रसोइयों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि
आपको बता दें की इससे पहले मुख्यमंत्री ने 1 अगस्त को शिक्षा विभाग के अंतर्गत दोपहर के भोजन योजना में कार्यरत रसोइयों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि करने का ऐलान किया था। वहीं कल डोमिसाइल नीति' की घोषणा कर बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। नीतीश कुमार सरकार की इस बात को लेकर लगातार आलोचना हो रही थी कि उसने शिक्षकों की सामूहिक भर्ती के दौरान मूल निवासी नीति लागू नहीं की, जिसकी वजह से बिहार की नौकरियों पर बाहर के लोगों का कब्जा हो गया है। इसी आलोचना की काट के रूप में नीतीश कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण को अब सिर्फ बिहारी महिलाओं के लिए सुरक्षित कर दिया है। इस फैसले का अर्थ यह है कि अब बिहार की सरकारी नौकरियों में बिहार से बाहर की महिलाएं पात्र तो होंगी, लेकिन उन्हें जेनरल कैटेगरी में परीक्षा देनी होगी और उन्हें महिलाओं के लिए आरक्षित 35% सीट में स्थान नहीं मिलेगा। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने एक तरह से महिला वोटर्स को खुश करने के लिए यह दांव खेला है। आपको बता दें की सीएम नीतीश का ये बड़ा चुनावी दांव बिहार के युवाओं को स्थानीय अवसरों में प्राथमिकता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी साफ देखा जा सकता है और जदयू नीत एनडीए को मिल सकता है।