
नीतीश राज में सुरा सुलभ योजना: न दवा मिली, न शिक्षा... पर शराब हर चौक-चौराहे पर उपलब्ध !
Lucknow Desk : बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है। चुनाव की तारीखों का ऐलान भी अभी नहीं हुआ है. लेकिन सीटों और टिकटों को लेकर अभी से सियासत जोर पकड़ चुकी है। सभी पार्टियां पूरी कोशिश में हैं कि इस बार सत्ता उनके हाथ लगे। लेकिन बिहार की स्थिती बेहद खराब है। जिस पर किसी की नजर नहीं जा रही है। सब वोट के लिए परेशान हैं। बता दे कि पचरुखी थाना क्षेत्र के सरौती गांव में इन दिनों शराबियों की महफिलें कुछ यूं सज रही हैं जैसे कोई सरकारी आयोजन हो। इस बार महफिल में शामिल हुए कोई आम आदमी नहीं, बल्कि खुद पूर्व जिला पार्षद जयकरण महतो। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि महतो जी शराब पी रहे ग्रामीणों के बीच बैठकर संवाद कर रहे हैं, जैसे किसी 'दारू विकास योजना' की समीक्षा हो रही हो। उन्होंने नीतीश सरकार की खुले शब्दों में आलोचना की और कहा कि अस्पतालों में चाहे दवा न हो, मगर शराब की खेप उत्तर प्रदेश से समय पर पहुंच रही है—इतनी नियमितता तो सरकारी राशन में भी नहीं होती।महतो जी ने दावा किया कि सिर्फ पचरुखी नहीं, पूरे बिहार में शराब आसानी से उपलब्ध है। यह ‘बंद’ नाम की नीति की वो जीत है जो हर नुक्कड़ पर बोतल की शक्ल में खड़ी मिलती है। सरकार भले ही शराबबंदी का ढिंढोरा पीटती रहे, मगर जमीनी हकीकत ये है कि दारू अब जीवन का हिस्सा बन चुकी है—बिना लाइसेंस, बिना रोक-टोक ले सकते है । थानाध्यक्ष से इस महाविषय पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन शायद वो भी इस नीतिगत सुरा व्यवस्था पर शोध में व्यस्त होंगे। अब सवाल ये है कि बिहार में स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था पहले सुधरेगी या ‘सुलभ शराब नीति’ को ही जनकल्याण योजना घोषित कर दिया जाएगा?